पूरे देश में अपनी निष्ठा और ईमानदारी के लिए मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे भ्रष्टाचार निरोधी लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने में सामाजिक संगठनों को शामिल किए जाने और इनकी तरफ से तैयार किए गए जन लोकपाल विधेयक को स्वीकार करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठ गए। हजारे आज, मंगलवार को सुबह नौ बजे महात्मा गांधी की समाधि राजघाट गए। उसके बाद वे इंडिया गेट तक जाने के बाद जंतर-मंतर आ गए और अपना उपवास शुरू कर दिया।
उनके साथ स्वामी अग्निवेश व सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल से लेकर किरण बेदी जैसे तमाम ख्यात लोग शामिल हैं। यहीं नहीं, पूरे देश से सात करोड़ से अधिक लोगों ने उनके आंदोलन को एसएमएस के जरिए अपना समर्थन दिया है। यहीं नहीं जगह लोग उनके समर्थन में सड़कों पर उतर रहे हैं। अण्णा हजारे ने कल ही ऐलान किया है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती, तब तक वे अपने गृहराज्य महाराष्ट्र का रुख नहीं करेंगे।
महाराष्ट्र में हजारे के गांव रालेगन सिद्धि में ‘गुड़ी पड़वा’ समारोह के दौरान लोगों ने उनके समर्थन और सरकार के प्रति विरोध जताने के लिये काले कपड़े धारण किए। मुंबई के आजाद मैदान में ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ आंदोलन के कार्यकर्ता हजारे के समर्थन में भूख हड़ताल की शुरूआत कर चुके हैं। मंगलवार को सुबह मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क से आजाद मैदान तक सौ कारों और मोटरसाइकिलों की रैली निकाली गई। एक एनजीओ जाग्रत नागरिक मंच के मयंक गांधी ने कहा कि कई लोगों ने संदेशों और ईमेल के जरिये अपना समर्थन दिया हैं। अन्य लोग अपने घरों और कार्यालयों में उपवास कर रहे है।
बता दें कि इस आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े और वकील प्रशांत भूषण के साथ मिलकर जन लोकपाल विधयेक का प्रारूप तैयार किया है, जो सरकारी नियंत्रण से स्वतंत्र लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग करता है। इसके मुताबिक भ्रष्टाचार के किसी भी मामले की जांच एक साल के भीतर पूरी हो जानी चाहिए और सजा कम से कम पांच साल और अधिकतम उम्रकैद होनी चाहिए, जबकि सरकारी प्रारूप में कम से कम छह माह और अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। कार्यकर्ताओं ने सरकारी फॉर्मूले को खारिज कर दिया है।
हजारे का कहना है कि सरकार लोगों के लिए कानून बनाना चाहती है। लेकिन वह अगर इस बात को ध्यान में रखने बिना कानून बनाती है कि लोगों के दिमाग में क्या है तो यह भारत में ब्रिटिश शासन के समान ही बुरा होगा। पूर्व महिला पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि सरकार का लोकपाल विधेयक निरर्थक है। उल्लेखनीय है कि हजारे लोकपाल विधेयक के मसौदे के मुद्दे पर सात मार्च को प्रधानमंत्री और कानून मंत्री से मिले थे। उस दौरान हजारे ने प्रधानमंत्री को लोकपाल विधेयक के सम्बंध में एक मसौदा पेश किया था।
इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हजारे के अनशन पर अड़े रहने पर निराशा जताई है और कहा कि वह हजारे और उनके मिशन का सम्मान करते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सोमवार शाम को जारी एक बयान के अनुसार मंत्रियों का एक समूह रक्षा मंत्री ए के एंटनी के नेतृत्व में हजारे से मिला था, लेकिन वे उन्हें मनाने में विफल रहे। हजारे मसौदे को संपूर्ण रूप में स्वीकार करने पर अड़े हुए हैं।
अण्णा हजारे का कहना है कि चूंकि प्रधानमंत्री ने लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने के लिए नागरिक समाज के लोगों के साथ एक संयुक्त समिति गठित किए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, इसलिए वे पहले की घोषणा के अनुसार आमरण अनशन कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं देश की जनता से अपील करता हूं कि वे इस भूख हड़ताल में शामिल हों और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दें।