देश में प्रति व्यक्ति आय 2009-10 में 46,492 रुपए रही है। यह साल भर पहले 2008-09 की प्रति व्यक्ति आय 40,605 रुपए से 14.5 फीसदी अधिक है। यह जानकारी सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री एम एस गिल ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। लेकिन यह जानकारी पुरानी है क्योंकि उन्हीं का मंत्रालय चालू वित्त वर्ष 2010-11 का भी अनुमान महीने भर पहले 7 फरवरी को जारी कर चुका है।
उस समय बताया गया था कि वर्तमान मूल्यों पर 2010-11 में प्रति व्यक्ति आय 2009-10 के 46,492 रुपए से 17.3 फीसदी बढ़कर 54.527 रुपए हो जाएगी। हालांकि आधार वर्ष 2004-05 के मूल्यों के हिसाब से यह 2009-10 के 33,731 रुपए से मात्र 6.7 फीसदी ही बढ़कर 2010-11 में 36,003 रुपए तक पहुंचेगी।
वर्तमान मूल्यों के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वित्त वर्ष 2010-11 के अंत में 72,56,571 करोड़ रुपए रहेगा जो 2009-10 के 61,33,230 करोड़ रुपए से 18.3 फीसदी अधिक है। लेकिन आधार वर्ष 2004-05 के लिहाज अर्थव्यवस्था में वृद्धि का अनुमान 8.6 फीसदी ही निकलता है। देश की आबादी 2009-10 के अंत में 117 करोड़ मानी गई है, जिसके मार्च 2011 तक 118.6 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
सवाल उठता है कि जब आगे की जानकारियां उपलब्ध हों, तब गिल साहब ने लोकसभा में पुरानी जानकारी क्यों दी? बता दें कि एम एस गिल इससे पहले खेल मंत्री थे और राष्ट्रमंडल खेलों में घोटालों के उजागर होने के बाद उन्हें वहां से निकालकर सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में डाल दिया गया। खैर, मंत्री महोदय ने लोकसभा में बताया कि ग्रामीण व शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति आय अलग-अलग है।
आधार वर्ष 2004-05 के मूल्यों के हिसाब बीते वित्त वर्ष के दौरान ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति आय 16,327 रुपए थी, जबकि शहरी इलाकों में यह 44,223 रुपए थी। कुल औसत 33,731 रुपए था जो साल भर पहले से केवल 6.1 फीसदी अधिक था।
उन्होंने बताया कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना और भारत निर्माण कार्यक्रम जैसे उपायों से ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है।