सितंबर तिमाही में भी विकास दर रहेगी 8.8% के आसपास: चावला

देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दूसरी तिमाही में भी पहली तिमाही में हासिल विकास दर 8.8 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है। यह कहना है वित्त सचिव अशोक चावला। सोमवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह उम्मीद जताई।

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह (सितंबर 2010 की तिमाही में जीडीपी विकास दर) पहली तिमाही से काफी करीब होगी।” बता दें कि सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी की विकास दर दूसरी तिमाही में कितनी रही है, इसके आधिकारिक आंकड़े चालू नवंबर माह के अंत तक जारी किए जाएंगे।

अप्रैल-जून 2010 की तिमाही में जीडीपी की विकास दर 8.8 फीसदी दर्ज की गई है। यह करीब तीन सालों में हासिल की गई सबसे ज्यादा आर्थिक विकास दर है। इसमें मुख्य योगदान मैन्यूफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र का रहा था। वैसे, इसके बाद हाल ही में आए आंकड़े बताते हैं कि सितंबर में हमारी औद्योगिक विकास दर उम्मीद स काफी कम 4.4 फीसदी रही है। इसकी वजह मशीनरी वगैरह जुड़े कैपिटल गुड्स उद्योग के उत्पादन में आई गिरावट है। इसके ठीक पहले अगस्त माह में भी औद्योगिक विकास दर 5.6 फीसदी रही थी और इसे भी उम्मीद से कम माना गया था। इसकी वजह रिजर्व बैंक की तरफ से मौद्रिक नीति में बरती गई कड़ाई को बताया गया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि अगस्त व सितंबर में औद्योगिक विकास दर के कम रहने के बावजूद जीडीपी की 8.8 फीसदी विकास दर कैसे हासिल की जा सकती है। लेकिन वित्त सचिव अशोक चावला का कहना है कि औद्योगिक विकास दर में जो भी कमी दिख रही है, वह सालाना तुलना में है और पिछले साल की विकास दर के ज्यादा होने के आधार पर उसका आंकड़ा कम आया है। उनके शब्दों में, “यह आंकड़े एक हद तक पिछले साल के समान महीनों की ऊंची विकास दर की तुलना में हैं। हमें लगता है कि हम एकदम दुरुस्त जा रहे हैं और हमें किसी चिंता की जरूरत नहीं है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार के बांडों और कॉरपोरेट बांडों में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) की बढ़ी हुई सीमा बहुत जल्दी ही लागू कर दी जाएगी। हालांकि इसकी कोई स्पष्ट तारीख उन्होंने नहीं बताई। इस बीच बाजार में इंतजार चल रहा है कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी विदेशी निवेशकों के लिए कब  बढ़ा हुआ कोटा घोषित करती है।

गौरतलब है कि सितंबर में ही सरकारी बांडों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 10 अरब डॉलर और कॉरपोरेट बांडों में 20 अरब डॉलर करने का फैसला हो चुका है। लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है। चावला के मुताबिक निवेश की इस सीमा को निकट भविष्य में और बढ़ाए जाने की उम्मीद नहीं है।

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