फ्रांस और जर्मनी ने तय किया है कि कर्ज संकट से निबटने में यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) की भूमिका पर वे खुली बहस नहीं करेंगे। यूरोपीय केंद्रीय बैंक की भूमिका को लेकर यूरो क्षेत्र के दोनों देशों में गंभीर मतभेद रहे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इटली के नए प्रधानमंत्री मारियो मोंटी के साथ बातचीत के बाद कहा कि उन्हें स्वतंत्र केंद्रीय बैंक पर भरोसा है और यूरोपीय संघ की संधि में परिवर्तन का प्रस्ताव देते समय महंगाई पर काबू रखने की बैंक की जिम्मेदारी में संशोधन नहीं करेंगे।
फ्रांस के स्ट्रासबुर्ग शहर में गुरुवार को हुई भेंट के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति सारकोजी ने कहा, “हम सबने यूरोपीय बैंक और उसके नेतृत्व में अपना विश्वास व्यक्त किया और कहा कि इस जरूरी संस्थान का आदर करते हुए हमें उससे सकारात्मक या नकारात्मक मांगें करने से परहेज करना चाहिए।”
पिछले दिनों में फ्रांसीसी मंत्रियों ने केंद्रीय बैंक से सरकारी बांडों को धसकने से रोकने के लिए भारी हस्तक्षेप की मांग की है जबकि मैर्केल और उनके मंत्रियों ने कहा है कि यूरोपीय संधि उसे अंतिम कर्जदाता बनने से रोकती है। सारकोजी ने कहा कि पेरिस और बर्लिन 9 दिसंबर को होने वाले यूरोपीय शिखर सम्मेलन से पहले एक संयुक्त प्रस्ताव पेश करेंगे, जिसमें 17 राष्ट्रों वाले यूरो जोन में कठोर बजट अनुशासन के लिए संधि में संशोधन का प्रावधान होगा।
जर्मन चांसलर मैर्केल ने कहा है कि यूरोपीय बजट नियमों को कठोरता से लागू करने का प्रस्ताव आर्थिक एकीकरण की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के संविधान और उसके मिशन में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा और न ही वे फिलहाल यूरो बांड को लागू करने के विरोध को कम करेंगी।