काले धन पर विस्तृत रिपोर्ट अगले साल सितंबर तक

सरकार ने देश के बाहर और भीतर बेहिसाब धन व आय से अधिक सम्पत्ति का अनुमान लगाने और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके पड़नेवाले असर का पता लगाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया गया है। इसकी रिपोर्ट सितंबर 2012 तक मिल जाएगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने वित्त संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर यह अध्ययन शुरू किया है।

उन्होंने बताया कि यह अध्ययन तीन सरकारी संस्थाओं राष्ट्रीय लोक वित्त व नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम) और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा अलग-अलग किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि इन संस्थाओं को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए सितंबर 2012 तक का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि फ्रांस और स्विटजरलैण्ड समेत कुछ देशों ने दोहरा कराधान निषेध संधि (डीटीएए) और सूचना विनिमय करार (टीआईईए) के तहत विशिष्ट मामलों में भारत के साथ बैंकिंग सूचनाएं साझा करने की इच्छा जताई है। भारत ने इन देशों से कर-संबंधी सूचनाएं प्राप्त भी की हैं।

बता दें कि भारत सरकार का 81 देशों के साथ दोहरा कराधान निषेध संबंधी करार है, जिसमें से दोहरे कराधान निषेध संबंधी 75 करार में बैंकिंग सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए विशिष्ट पैराग्राफ नहीं है। वित्त मंत्री के मुताबिक इन सभी 75 करारों पर फिर से वार्ता शुरू की गई है और 22 मामलों में यह प्रक्रिया पूरी हो गई।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने विदेश में देश का अवैध रूप से जमा धन वापस लाने के लिए व्यापक पांच सूत्री रणनीति तैयार की है। इनमें कालेधन के विरूद्ध विश्वव्यापी संघर्ष में शामिल होना, एक उपयुक्त विधायी रूपरेखा तैयार करना, अवैध निधियों के निपटारे के लिए संस्थाएं गठित करना, कार्यान्वयन के लिए प्रणाली विकसित करना और प्रभावी कार्रवाई के लिए मानव संसाधन कौशल को उन्नत बनाना शामिल है।

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