पश्चिमी देशों में अनिश्चित आर्थिक स्थिति भारत के सेवा क्षेत्र के लिए फायदे का सौदा साबित हुई है। बीते वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी की अवधि में देश के सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह 62 फीसदी बढ़ा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय और गैर-वित्तीय सेवा क्षेत्र में 2011-12 के पहले दस महीनों में 4.83 अरब डॉलर का विदेशी पूंजी निवेश हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 2.98 अरब डॉलर रहा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय जब पश्चिमी बाजारों की स्थिति अनिश्चित है, भारत निवेश का एक सुरक्षित ठिकाना साबित हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय सलाहकार फर्म केपीएमजी के कार्यकारी निदेशक कृष्ण मल्होत्रा कहते हैं, ‘‘ऐसे समय जब पश्चिमी बाजार आर्थिक संकट का दबाव झेल रहे हैं, विदेशी निवेशकों की निगाह भारत पर है, जो एक सुरक्षित ठिकाना है। यह रुख भारत की विकासगाथा के प्रति भरोसा भी जताता है।’’
यूं तो भारत सरकार की टैक्स नीतियों से लेकर तमाम घोटालों से विदेशी निवेशक जरूर परेशान हुए हैं। लेकिन वे इसके बावजूद निवेश से विमुख नहीं हुए हैं। इसका प्रमाण है कि बीते वित्त वर्ष में जनवरी 2012 तक के दस महीनों में देश में आया एफडीआई 53 फीसदी बढ़कर 26.19 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा एफडीआई आया है, उनमें प्रमुख हैं – दवा व फार्मा (3.20 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन (2.23 अरब डॉलर, टेलिकॉम (1.99 अरब डॉलर) और बिजली (1.56 अरब डॉलर)।