पिछले कुछ दिनों से भारतीय शेयर बाजार में तेजी का क्रम जमने लगा तो मंदी के खिलाड़ियों ने अपनी पकड़ बनाने के लिए रिसर्च रिपोर्टों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। भारत में सक्रिय जर्मन बैंक, डॉयचे बैंक ने एक ताजा रिपोर्ट जारी कर कहा है कि अगर अगले वित्त वर्ष 2012-13 में भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) या अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 फीसदी पर आ गई तो बीएसई सेंसेक्स गिरकर 14,500 अंक पर आ सकता है।
हालांकि डॉयचे बैंक की इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ठीक रहेगी और अगले दो साल तक इसके 8 फीसदी रहने की उम्मीद है। लेकिन देश की आर्थिक विकास दर को लेकर उठाई यह चिंता निवेशकों के विश्वास को और ज्यादा तोड़ सकती है।
सेंसेक्स फिलहाल 17,500 के ऊपर चल रहा है। अगस्त 2009 के बाद से यह 15,000 अंक के नीचे नहीं आया है। साल भर पहले नवंबर 2010 में सेंसेक्स 21,000 अंक तक चला गया था। लेकिन फिर घटने लगा तो वह स्तर दोबारा नहीं हासिल कर सका।
पिछले पांच साल में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही है। 2008-2009 के वैश्विक वित्तीय संकट को अगर छोड़ दिया जाए तो यह दर फीसदी निकलती है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के लिए रिजर्व बैंक ने आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 7.6 फीसदी कर दिया है।
यही समझ में नहीं आता कि कब डरें और कब नहीं डरें, बाकी तो अर्थशास्त्रीय गणना हैं ।