दीपावली पर हम संकल्प लें कि हमें जीवन के हर क्षेत्र में अंधेरे से उजाले की तरफ और अज्ञान से ज्ञान की तरफ जाना है। इसके लिए पारदर्शिता ज़रूरी है। दिन में सूरज का उजाला और रात में स्ट्रीट लाइट नहीं होगी तो रास्ता कैसे दिखेगा! शेयर बाजार में पूरी पारदर्शिता होनी ही चाहिए। कल को एनएसई और बीएसई आंकड़े छिपाने या गलत आंकड़े देने लग जाएं तो भयंकर घोटाला हो जाएगा और लाखों ट्रेडरों का जीवनऔरऔर भी

दिवाली और दिवाला में बस एक मात्रा का ही अंतर है। लेकिन एक उजाला फैलाती है तो दूसरा बरबाद कर देता है। यह दिवाली या दीपावली का सप्ताह है तो हमें मनन करने की ज़रूरत है कि शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में 90-95% रिटेल ट्रेडर घाटा क्यों खाते रहते हैं? उत्तर बड़ा साफ है कि वे बुद्धि से कम और भावनाओं से ज्यादा काम लेते हैं। लेकिन यह बात तो सभी जानते हैं कि हमें ट्रेडिंग हीऔरऔर भी

शेयर बाज़ार का निवेश लम्बे समय की ट्रेडिंग है और ट्रेडिंग छोटे समय का निवेश। अनुभवी लोग बताते हैं कि शेयर बाज़ार से वही कमाता है जो बराबर मुनाफा निकालता रहता है। इस अनिश्चितता से भरी दुनिया में कुछ भी पक्का नहीं। फिर शेयर बाज़ार तो अनिश्चितता से ही खेलने का दूसरा नाम है। पहली बात, हमेशा लक्ष्य बनाकर ट्रेडिंग या निवेश करना चाहिए। दूसरी बात, लक्ष्य पूरा होते या स्टॉप लॉस ट्रिगर होते ही ज्यादा लालचऔरऔर भी

केंद्र सरकार द्वारा रिजर्व बैंक की सचित निधि पर हाथ साफ करना न केवल अनैतिक, बल्कि देश के वित्तीय स्थायित्व के लिए भी घातक है। शुक्र है कि साल 2008 जैसा वैश्विक वित्तीय संकट दोबारा नहीं आया। बिमल जालान समिति ने तय किया था कि 3 जून 2018 तक रिजर्व बैंक के पास मुद्रा व स्वर्ण पुनर्मूल्यांकन रिजर्व खाते में जो 6.91 लाख करोड़ रुपए पड़े हैं, उसे सरकारी पहुंच से दूर रखा जाए तो सरकार लाखऔरऔर भी