दीपावली के साथ इस साल का त्योहारी सीजन अब खत्म हो गया। यह हमारी कंपनियों के लिए घरेलू बाज़ार से कमाई का सबसे अच्छा मौसम होता है। निर्यात से कमाई तो क्रिसमस तक चलती रहती है। लेकिन निर्यात का मोर्चा तो बराबर ठंडा चल रहा है। सितंबर में हमारा निर्यात 2.6% घटा था, जबकि अक्टूबर से दिसंबर तक अनुमान है कि यह 6.3% बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने हिसाब लगाया है कि हमारे कॉरपोरेट क्षेत्रऔरऔर भी

जलाओ दीये, पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। सुख, समृद्धि व खुशहाली का त्योहार आप सभी को बहुत-बहुत मुबारक। दीपावली असत्य पर सत्य की जीत का त्योहार है। नई शुरुआत की बेला है। यह काहिली व दलिद्दर को मिटाने और कर्तव्य, करतब व कर्म की राह पर डट जाने के संकल्प का पर्व है। अपने हिस्से की मेहनत व उद्यमशीलता में कोई कोर-कसर नहीं छोड़नी चाहिए। लेकिन यह दौर साथ-साथ बढ़ने औरऔरऔर भी

आज के दौर में धनलक्ष्मी सभी को चाहिए क्योंकि हर कोई न हर चीज पैदा कर सकता है, न हर सेवा जुटा सकता है। यहां तक कि तथाकथित संतों और बाबाओं ने भी धन की धुनी रमा रखी है। बाबा रामदेव ने देखते ही देखते 3000 करोड़ की नेटवर्थ बना ली है। लेकिन आबादी के हर तबके के पास लक्ष्मी लाने के अलग-अलग तरीके हैं। हर कोई कुछ न कुछ बनाता और बेचता है। भिखारी तक अपनीऔरऔर भी

हर तरफ उजाला हो। जीवन के हर क्षेत्र में पारदर्शिता हो। मन में भी कोई छल-कपट व अंधेरा न हो। किसी को हर जानकारी हो, यह कतई ज़रूरी नहीं। आज के दौर में तो कोई भी जानकारी कभी भी हासिल की जा सकती है। यह भी ध्यान रहे कि इस दुनिया-जहान में सब कुछ हर पल बदल रहा है तो कोई भी जानकारी या सत्य अंतिम नहीं। सदियों पहले जो धन या लक्ष्मी का स्वरूप था, वहऔरऔर भी

हर तरफ उजाला हो। सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता हो। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आगाज़ हो चुका है। क्या चुनावों के धन में पारदर्शिता है? क्या राजनीति में जवाबदेही है? इन सवालों का शेयर बाज़ार से सीधा तो नहीं, लेकिन घुमा-फिराकर रिश्ता बनता है। राजनीतिक चंदों में जब तक पारदर्शिता नहीं होगी, जब तक वहां कालाधन आता रहेगा, तब तक शेयर बाज़ार में भावों के साथ खेल व धोखा चलता रहेगा और बाज़ारऔरऔर भी