दीपावली के साथ इस साल का त्योहारी सीजन अब खत्म हो गया। यह हमारी कंपनियों के लिए घरेलू बाज़ार से कमाई का सबसे अच्छा मौसम होता है। निर्यात से कमाई तो क्रिसमस तक चलती रहती है। लेकिन निर्यात का मोर्चा तो बराबर ठंडा चल रहा है। सितंबर में हमारा निर्यात 2.6% घटा था, जबकि अक्टूबर से दिसंबर तक अनुमान है कि यह 6.3% बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने हिसाब लगाया है कि हमारे कॉरपोरेट क्षेत्र की बिक्री सितंबर तिमाही में 8-10% और ब्याज, टैक्स, मूल्यह्रास व अमोर्टाइजेशन से पहले का लाभ 18-20% तक बढ़ा है। उसने करीब 300 कंपनियों के घोषित नतीजों के आधार पर यह गिनती की है। ऑटोमोबाइल, रिटेल व कंस्ट्रक्शन से जड़ी कंपनियों में ज्यादा वृद्धि देखी गई है। कंपनियों को सड़क व रेल मंत्रालय द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय का फायदा मिला है। वैसे, क्रिसिल ने आगाह किया है कि मानसून में रही कमज़ोरी ग्रामीण मांग पर नकारात्मक असर डाल सकती है। चिंता की बात यह भी कि देश से कृषि उत्पादों का निर्यात बराबर घट रहा है। इस साल अप्रैल से सितंबर तक यह 11.6% घटा है। इसकी सीधी मार किसानों को लगी है जिसका असर हिंदुस्तान यूनिलीवर व डाबर जैसी उपभोक्ता कंपनियों पर पड़ रहा है। अब सोमवार का व्योम…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...