क्या निफ्टी 20,000 अंक के स्तर पर ज्यादा टिक पाएगा? जनवरी 2008 से अक्टूबर 2021 में हासिल निफ्टी के पिछले शिखर पर नज़र डालने से इसका पूरा जवाब नहीं तो संकेत ज़रूर मिल सकता है। जनवरी 2008 में निफ्टी 6257 के शिकर पर पहुंचा। लेकिन दो साल नौ महीने बाद अक्टूबर 2010 तक घटकर 6177 पर आ गया। फिर फऱवरी 2015 में 8809 तक पहुंचा और करीब डेढ़ साल बाद भी सितंबर 2016 में 8866 पर अटकाऔरऔर भी

बात बड़ी साफ है कि भारतीय शेयर बाज़ार में अगर निफ्टी के 20,000 अंक तक पहुंचने के बाद भी तेज़ी का नया दौर शुरू होना है तो वैश्विक स्तर पर, खासकर अमेरिका में भी आर्थिक उभार की स्थिति रहनी चाहिए। तब तक मोमेंटम स्टॉक्स के पीछे ज्यादा समय तक भागना घाटे का सौदा बन सकता है। खुद ही देख लीजिए कि एक समय बाज़ार के चहेते रहे ज़ोमैटो, नाइका, कारट्रेड, व पेटीएम जैसे स्टॉक्स का क्या हश्रऔरऔर भी

निफ्टी जब नए शिखर पर पहुंचने के बाद तेज़ी से 20,000 अंक की तरफ बढ़ रहा है, तब सबके दिमाग में एक सवाल तो यह है कि इस मंज़िल के बाद निफ्टी की दशा-दिशा क्या होगी? दूसरा सवाल यह कि जब विश्व अर्थव्यवस्था भारी अनिश्चितता से घिरी हो, अमेरिका से लेकर यूरोप व जापान तक आर्थिक मंदी की आशंका हो, तब भारत कितना अछूता रह सकता है? कॉरपोरेट जगत की मशहूर हस्ती और एचडीएफसी के चेयरमैन दीपकऔरऔर भी

अपना शेयर बाज़ार 11 महीने में ही फिर नए ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गया। सेंसेक्स 17 जून से 25 नवंबर 2022 तक के करीब पांच महीनों में नीचे से ऊपर तक 22.64% और निफ्टी 22.07% बढ़ा है। इस दौरान अगर किसी ने निफ्टी ईटीएफ में निवेश किया होता तो यकीकन उसे इसके आसपास रिटर्न मिल गया होता। लेकिन क्या आपके पोर्टफोलियो में शामिल शेयर भी इस दौरान इतने बढ़े हैं? यह आदर्श स्थिति दुनिया का कोई भीऔरऔर भी

अगर अपना शेयर बाज़ार फटाफट चढ़े और निफ्टी-50 थोड़े समय में ही 20,000 अंक पर पहुंच जाए तो यकीनन ट्रेडरों को अपनी पोजिशन काटकर मुनाफा बटोर लेना चाहिए। असल में कम अवधि में निफ्टी के बढ़ने से कंपनियों की लाभप्रदता तो वही रहेगी और बाज़ार ज्यादा महंगा हो जाएगा। तब उसमें करेक्शन लाज़िमी हो जाएगा। लेकिन अगर बाज़ार लम्बे समय तक सीमित दायरे में चलता हुआ धीरे-धीरे बढ़ता है और तब निफ्टी 20,000 अंक तक पहुंचता है,औरऔर भी