विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाज़ार से निकल रहे हैं। उनके निकलने से सिस्टम में डॉलर घट गए तो डॉलर का भाव रुपए में बढ़ गया। दिसंबर तिमाही में विदेशी निवेशकों ने 4.2 अबर डॉलर यहां से निकाले हैं। इससे हमारा रुपया 1.9% खोखला हो गया। समूचे एशिया में सबसे ज्यादा मार रुपए पर पड़ी है। विदेशियों के इस तरह निकलने से बीएसई सेंसेक्स 19 अक्टूबर के शिखर से 10% से ज्यादा गिरने के बाद अब जाकर थोड़ाऔरऔर भी

जी हां! महंगाई का हाहाकार। भारत ही नहीं, सारी दुनिया में। लगता है कि नए साल का केंद्रीय थीम बनने जा रही है महंगाई या मुद्रास्फीति। अमेरिका में जहां रिटेल मुद्रास्फीति की दर अमूमन 2-2.5% से ऊपर नहीं जाती थी, वहां 6.8% हो चुकी है। यूरोप में यह दर 4.9% चल रही है जो यूरो अपनाने के बाद के दो दशकों का सर्वोच्च स्तर है। अपने यहां रिटेल मुद्रास्फीति नवंबर में भले ही 4.91% रही है, लेकिनऔरऔर भी

कमाल की बात है कि सरकार के कोविड टास्क फोर्स की भविष्यवाणी सरासर गलत निकली। मार्च 2020 से लेकर अब तक भारत में लगभग साढ़े तीन करोड़ कोरोना मरीज आ चुके हैं। यह भी कमाल है कि दुनिया में इस महामारी के दूसरे सबसे बड़े शिकार देश का शेयर बाज़ार साल भर में 25% से ज्यादा बढ़ गया। अमेरिका से लेकर यूरोप व जापान जैसे विकसित देशों मे बेहद सस्ते ब्याज पर उपलब्ध इफरात धन भारत जैसेऔरऔर भी

व्यक्ति से बाहर समाज की बात की जाए कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर से लेकर साल 2021 में दूसरी लहर तक सारी ज़िंदगी उलट-पुलट हो गई। अब भी कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा मंडरा रहा है। भारत सरकार के कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख वी.के. पॉल ने तो कहा है कि ब्रिटेन से लेकर फांस व यूरोप के तमाम देशों में जिस तरह ओमिक्रॉन की मार बढ़ रही है, उसे देखते हुएऔरऔर भी

क्या रहे हैं साल 2021 के खास सबक? जिन्होंने भी शेयर बाज़ार से ट्रेडिंग को अपना प्रोफेशल बनाया है और इसी से अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, उन्हें ये सबक निजी स्तर पर निकालने होंगे। उन पर मनन करना होगा ताकि नकारात्मक बातों को पीछे छोड़ सकारात्मक बातों के साथ आगे बढ़ा जा सके। मोटेतौर उन्हें समझना होगा कि मन के भंवरजाल से मुक्त होकर वे शेयर बाज़ार में जो सचमुच हो रहाऔरऔर भी