जी हां! महंगाई का हाहाकार। भारत ही नहीं, सारी दुनिया में। लगता है कि नए साल का केंद्रीय थीम बनने जा रही है महंगाई या मुद्रास्फीति। अमेरिका में जहां रिटेल मुद्रास्फीति की दर अमूमन 2-2.5% से ऊपर नहीं जाती थी, वहां 6.8% हो चुकी है। यूरोप में यह दर 4.9% चल रही है जो यूरो अपनाने के बाद के दो दशकों का सर्वोच्च स्तर है। अपने यहां रिटेल मुद्रास्फीति नवंबर में भले ही 4.91% रही है, लेकिन थोक मुद्रास्फीति 14.23% हो चुकी है जो 2011-12 में यह सीरीज शुरू होने के बाद का अधिकतम स्तर है। दुनिया भर में इस तरह महंगाई का बढ़ना चिंता का विषय है। पेट्रोल, डीज़ल से लेकर प्राकृतिक गैस की कीमतों में आग लगी है। ऊपर से खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई सातवें आसमान पर है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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