बढ़ता, रुकता, गिरता। इन दिनों बाज़ार की यही चाल है। साथ ही वोलैटिलिटी या चंचलता काफी बढ़ी हुई है। निफ्टी अमूमन 120-140 अंकों के दायरे में घूमता है। वैसे तो अब देश में कोरोना के पीक से उतरने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन कोरोना का दूसरा झटका आया तो निफ्टी कहां तक गिर सकता है? हल्का आया तो 10,200 तक और तगड़ा झटका आया तो 9600 तक! जानकारों का यही अनुमान है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

हिचकोले खाते बाज़ार को लेकर तरह-तरह की गणनाएं और कयास चल रहे हैं। कुछ उस्ताद फिबोनाकी संख्याओं के आधार पर बोले कि निफ्टी में 10,800 के आसपास सपोर्ट मिल रहा था तो बीते हफ्ते गुरुवार को 10,805.55 पर बंद होने के बाद उसमें दो दिन से उछाल चल रहा है। टेक्निकल एनालिसिस वालों का कहना है कि निफ्टी में 200 दिनों का मूविंग औसत 10,820 का था तो वहां से सपोर्ट मिल गया। अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

दुनिया के वित्तीय जगत में बढ़ती उथल-पुथल, कोरोना के बढ़ते मामले और अर्थव्यवस्था सुधरने की संभावनाओं पर उठते सवालों ने अपने यहां शेयर बाज़ार के उफान को धीमा कर दिया है। कमोबेश सभी को अंदेशा है कि अब बाज़ार में बड़ा करेक्शन आ सकता है और मार्च के बाद के छह महीनों में फूला गुब्बारा पिचक सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम उन्माद की अवस्था से निकलकर सावधानी की मुद्रा अपना लें। अब सोम का व्योम…औरऔर भी

समूचे शेयर बाज़ार या किसी खास शेयर की भावी चाल के बारे में कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं। न्यूटन जैसे वैज्ञानिक, शोल्स जैसे नोबेल विजेता अर्थशास्त्री और बेहद विकसित कंप्यूटर अल्गोरिदम भी यह अनुमान लगाने में मात खा चुके हैं। इसलिए मानकर चलें कि कोई भी अनुमान गलत साबित हो सकता है। यह शेयर बाज़ार में निवेश का अंतर्निहित रिस्क है जिसे भलीभांति समझकर ही इसमें धन लगाना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अभी तक व्यवस्था थी कि जब तक खरीदे गए शेयर आपके डीमैट खाते में नहीं आते, तब तक आप उन्हें बेच नहीं सकते थे। लेकिन नई व्यवस्था में अगले ही दिन उन्हें बेच सकते हैं, भले ही वो डीमैट खाते में नहीं आए हों। कुछ ब्रोकर सहूलियत दे रहे हैं कि शेयर-बिक्री की रकम आपके खाते में न आने पर भी आप उससे कैश या डेरिवेटिव सेगमेंट में नई पोजिशन ले सकते हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी