नाम ही अपने-आप में पर्याप्त नहीं
शेयर खरीदना साबुन-तेल या जीन्स खरीदने जैसा नहीं है कि जाना-पहचाना व आजमाया ब्रांड डिस्काउंट देख कर खरीद लिया। यकीनन यहां भी नाम की अपनी भूमिका है। लेकिन केवल नाम ही खुद में पर्याप्त नहीं है। हमें देखना पड़ता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए मूल्य पैदा कर रही है या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि खाली हवाबाज़ी करके प्रवर्तकों की जेब भरने का इंतज़ाम किया जा रहा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी