जब भी हम किसी माध्यम से कमाने की सोचते हैं तो उसका मूल हमें पता होना चाहिए। अन्यथा, हम छायाओं से ही खेलते रह जाएंगे। हम सभी वित्तीय बाज़ार, खासकर शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग से कमाना चाहते हैं। आज वित्तीय बाज़ार में बिचौलियों की न जाने कितनी परतें घुस गई हैं। लेकिन मूलतः इसका मकसद था कि बचत करनेवाले को उसका उपयोग करनेवालों से ऐसे जोड़ा जाए कि दोनों का फायदा हो। अब देखें सोम का व्योम…औरऔर भी

वॉरेन बफेट कायदे से समझने से पहले कंपनी को हाथ नहीं लगाते। भरपूर रिसर्च के बाद उन्होंने 2011 में आईबीएम का शेयर खरीदा। तब वो 170 डॉलर पर था। अभी 138 डॉलर पर है। जिन चार सालों में एस एंड पी 500 सूचकांक 1285 से 62.5% बढ़कर 2088 पर पहुंच गया, उसी दौरान आईबीएम से बफेट को 18.8% का घाटा! फिर भी बफेट को अफसोस नहीं क्योंकि उन्होंने सुरक्षित मार्जिन पर खरीदा था। अब आज की कंपनी।औरऔर भी

उद्यमी रिस्क ही रिस्क लेता है। स्टार्ट-अप वाले भी जुगाड़ टाइप रिस्क ही लेते हैं। आईआईएम या आईएमएम वाले सुरक्षित रिस्क लेते हैं। समझने की बात है कि ट्रेडर न तो उद्यमी है, न ही स्टार्ट-अप या फाइनेंस का मास्टर। उसका ट्रेड ऐसा है जिसमें बाज़ी बड़े बारीक अंतर से इधर से उधर चली जाती है। इसलिए उसे हिसाब लगाना पड़ता है कि इतना हारे, उतना जीते तो फायदे के लिए सौदे में रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात कितना होनाऔरऔर भी

ट्रेडरों का रिस्क प्रोफाइल भिन्न होता है तो उनकी ट्रेडिंग रणनीति भी अलग होती है। जो लोग कम रिस्क लेना चाहते हैं उन्हें तिमाही नतीजों की घोषणा के आसपास कंपनी के शेयरों को हाथ नहीं लगाना चाहिए। नतीजों के 15-20 दिन बाद जब मारकाट मिट जाए, मामला शांत हो जाए, तभी उसकी तरफ झांकना चाहिए। वैसे, कुछ भी कर लो ट्रेडिंग से रिस्क खत्म नहीं हो सकता। इसलिए हिसाब से चलें। अब करते हैं शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

हर खेल हर खिलाड़ी के लिए नहीं होता। वहीं, हर बॉल पीटने के चक्कर में बल्लेबाज़ खुद पिट जाता है। लंबी पारी खेलने में माहिर धुरंधर बहुत-सी गेंदों को जाने देते हैं। वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में भी अगर आपको लंबी पारी खेलनी है, बराबर कमाना है तो बहुत सारे अवसरों पर आपको ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए। मसलन, आज डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी के दिन बाज़ार से दूर रहने में भलाई है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी