सिस्टम में अतिरिक्त धन/मूल्य कहां से जुड़ता है? आप कहेंगे कि गोल्ड स्टैंडर्ड हटने के बाद रिजर्व बैंक जितना चाहे, नोट छापकर डाल देता है। लेकिन नोटों में मूल्य जोड़ता है किसान जो एक दाने से सैकड़ों दाने पैदा करता है या उद्योग-धंधे जो एक करोड़ से दस करोड़ का नया मूल्य सृजित करते हैं। किसान ‘मूल्य’ बांटता नहीं, लिस्टेड कंपनियां बांटती हैं। शेयर बाज़ार में लंबा निवेश हमें यही मौका देता है। अब आज का निवेश…औरऔर भी

बुधवार को मैंने एक फर्म से ट्रेडिंग टिप्स का एक दिन का मुफ्त ट्रायल लिया। एसएमएस आया कि लार्सन एंड टुब्रो पर उसके पास अंदर की 100% पक्की खबर है। 1000 रुपए का पुट ऑप्शन 22 में लपककर लीजिए। स्टॉप-लॉस 10, लक्ष्य 42 रुपए। उसी दिन लार्सन एंड टुब्रो के नतीजे आए। शेयर बढ़ा, पुट ऑप्शन का बेड़ा गरक। दरअसल ऐसी फर्में अंदर की खबरों के नाम पर बेवकूफ बनाती हैं। ऐसे झांसों से बचकर करें ट्रेडिंग…औरऔर भी

टेक्निकल एनालिसिस या चार्टिंग का मूल मकसद है किसी खास समय तक खरीदने और बेचने वालों के बीच का संतुलन देखकर बाज़ार पर हावी भावना को समझना। लेकिन यह थोड़े वक्त, बहुत हुआ तो महीने या दो महीने के लिए फिट बैठता है। लंबे समय में कंपनी व अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स ही शेयरों के भाव तय करते हैं। इसलिए साल दो साल के निवेश पर टेक्निकल का फंदा नही कसना चाहिए। अब देखते हैं गुरु का बाज़ार…औरऔर भी

आम लोग शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग तो छोड़िए, निवेश तक को नमस्कार बोल चुके हैं। गुजरे छह सालों में उनकी संख्या लगातार घटी है। बाकी जो लोग किसी-न-किसी ब्रोकर-हाउस से जुड़कर ट्रेड करते हैं, वे बराबर किसी अचूक मंत्र की तलाश में भटकते हैं क्योंकि अपना मंत्र उन्हें ऐसा एक कदम आगे, दो कदम पीछे चलाता है कि केवल दूसरों को सलाह देने लायक बच जाते हैं। धन-प्रबंधन का मंत्र उनसे सधता नहीं। अब दृष्टि बुधवार की…औरऔर भी

न तो दुनिया और न ही शेयर बाज़ार हमारी सदिच्छा से चलता है। लेकिन हम अपनी इच्छाएं थोपने से बाज नहीं आते। सोच लिया कि फलानां शेयर बढेगा तो दूसरों से इसकी पुष्टि चाहते हैं। वही टेक्निकल इंडीकेटर पकड़ते हैं जो हमारी धारणा को सही ठहराते हों। कोई इंडीकेटर उल्टा संकेत देता है तो हम उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ध्यान दें, भाव इंडीकेटर के पीछे नहीं, इंडीकेटर भाव के पीछे चलते हैं। अब वार मंगलवार का…औरऔर भी