ट्रेडिंग कोई सीधा-सरल सहज नहीं, बल्कि जटिल खेल है। अनिश्चितता की भंवर में आपको फैसला करना होता है। फैसला इस आधार पर कि पल-पल बदलते भावों का पैटर्न क्या है? यह समझ कि भीड़ का झुकाव ठीक इस वक्त किधर है? तेजी और मंदी के खेमे में किसका पलड़ा भारी है? पूंजी बड़ी हो तो खरीदने-बेचने के सौदे साथ कर सकते हैं। लेकिन कम पूंजी में ऐसा मुमकिन नहीं। चलिए करें इस जटिलता को सुलझाने का अभ्यास…औरऔर भी

आप भीड़ का हिस्सा बने रहे, उसी तरह सोचते रहे तो हमेशा वोटर और उपभोक्ता ही बने रहेंगे, नेता-विजेता कभी नहीं बनेंगे। कंपनियां और राजनीतिक पार्टियां आपकी सोच पर अपना साम्राज्य खड़ा करती रहेंगी। आपको अपना बिजनेस खड़ा करना है तो भीड़ की सोच से ऊपर उठना पड़ेगा, भीड़ की सोच से खेलना पड़ेगा। जो ट्रेडर इस खेल में पारंगत हो जाता है, वो ऐश करता है। बाकी आते हैं, क्रैश कर जाते हैं। अब चलें आगे…औरऔर भी

बहुत से चार्ट पैटर्न और इंडीकेटर उल्टे संकेत दें तो हम पक्का निर्णय नहीं ले पाते। ऐसे में संभावना पकड़कर चलना चाहिए। मगर, ज्यादातर लोग पक्का निर्णय चाहते हैं। वे अनिश्चितता को पचा नहीं पाते। मन से निर्णय करते हैं। मानते हैं कि बाज़ार उन्हें सही साबित करेगा। सही होने का यह गुरूर अक्सर उन्हें बहुत महंगा पड़ता है। बाज़ार के पलटते ही हमें बगैर चूं-चपट किए घाटा काटकर हट जाना चाहिए। जिद से बचें, बढ़ें आगे…औरऔर भी

ट्रेडिंग से पैसा कमाने के लिए किसी भविष्यवाणी की जरूरत नहीं। आपको बस यह जानना है कि ठीक इस वक्त बाज़ार पर हावी कौन है। तेजड़िए या मंदड़िए? इनमें से जो भी सोच हावी है, उसकी ताकत कितनी है? इस जानकारी के दम पर आपको आंकना होगा कि मौजूदा रुझान कब तक चल सकता है। इसके मद्देनज़र आपको भय और लालच से बचते-बचाते अपनी पूंजी को सही से लगाना है। अब चलें सिद्धांत से व्यवहार की ओर…औरऔर भी

आप कितने ही मजबूत हों, आठ-दस लोग मिलकर दबाने लगें तो आपके घुटने मुड़ ही जाएंगे। भीड़ भले ही जाहिल हो, लेकिन आप उसकी ताकत का मुकाबला नहीं कर सकते। भीड़ बनाती है ट्रेंड। इसलिए ट्रेडिंग करते वक्त कभी ट्रेंड के खिलाफ न जाएं। रुझान ऊपर का हो तो खरीदें, अन्यथा किनारे खड़ें रहें। शॉर्ट कभी न करें। भीड़ से डरें नहीं। उसके साथ चलना जरूरी नहीं, लेकिन उसके खिलाफ कभी न जाएं। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी