।।पंकज जाइसवाल*।। प्रकाश झा की फिल्म ‘सत्याग्रह’ का सबसे मूल बिन्दु अमिताभ बच्चन द्वारा कलेक्टर के मुंह पर मारा गया एक थप्पड़ है जिसमे वो कहते हैं कि हम जनता हैं और तुम जनता के नौकर हो। बहुत साफ सीधा और गूढ़ संदेश है फिल्म के इस हिस्से में। साथ ही जब अजय देवगन अमिताभ की गिरफ्तारी के खिलाफ आधुनिक आंदोलन चला रहे होते हैं तो फेसबुक पर कुछ नारों का निर्माण होता है जिसे सिर्फ एकऔरऔर भी

चाहे हम नियमित आय के लिए शॉर्ट-टर्म ट्रेड कर रहे हों या दौलत जुटाने के लिए लांग-टर्म निवेश कर रहे हों, हमारा लक्ष्य यही है कि हम कम से कम जोखिम में अधिक से अधिक मुनाफा कैसे कमा सकते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है भावों के उस स्तर की सटीक शिनाख्त जहां से कोई स्टॉक या बाज़ार तेज़ी से पलटता है। दरअसल, इन टर्निंग प्वाइंट्स को पकड़ना ही न्यूनतम रिस्क उठाकर अधिकतमऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग एक तरह का बिजनेस है। इसमें बराबर हर सौदे में मुनाफा कमाना संभव नहीं। यह दुनिया भर के अनुभवी ट्रेडरों का सबक है। कई बार घाटा उठाना पड़ता है। यह घाटा न्यूनतम हो, इसके लिए स्टॉप-लॉस का अनुशासन बना है। इसलिए हर ट्रेड में एंट्री के साथ-साथ स्टॉप-लॉस का स्तर तय करना ज़रूरी है। दरअसल, स्टॉप-लॉस के घाटे को इस बिजनेस की लागत माना जाता है। अब उतरते हैं आज के बाज़ार में…औरऔर भी

अमेरिकी अर्थव्यवस्था साल 2013 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में उम्मीद से ज्यादा रफ्तार से बढ़ी है। खुद अमेरिकी सरकार का अनुमान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 1.7 फीसदी वृद्धि का था, जबकि अर्थशास्त्री 2.2 फीसदी का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन गुरुवार को अमेरिकी वाणिज्य विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका का जीडीपी अप्रैल-जून 2013 की तिमाही में 2.5 फीसदी बढ़ा है। यह विकास दर साल की पहली तिमाही से लगभग दोगुनी है। इसऔरऔर भी

यूं तो इधर सभी ब्रिक देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) की आर्थिक दशा खराब चल रही है। लेकिन इनमें सबसे खराब हालत भारत की है। इसका पता दयनीयता या मिज़री सूचकांक से चलता है। यह सूचकांक किसी देश में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की दर को जोड़कर निकाला जाता है। भारत का दयनीयता सूचकांक अभी 17.8% (बेरोजगारी दर 8.5% + मुद्रास्फीति 9.3%) है, जबकि ब्राज़ील में यह सूचकांक 10.9% (5.5% + 5.4%), रूस में 10.8% (5.7% + 5.1%)औरऔर भी

बाज़ार सरकार तक की नहीं सुनता। वित्त मंत्री चिदंबरम से लेकर रिजर्व बैंक तक रुपए को चढ़ाना चाहते हैं। लेकिन इन सबको धता बताते हुए रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 तक जा गिरा। एक दिन में 3.83% की गिरावट। यह एक मार्च 1993 के बाद किसी एक दिन में हुई सबसे बड़ी गिरावट है। शेयर बाज़ार सपाट। सोना चढ़ा 34,238 रुपए प्रति दस ग्राम तक। सबक? बाज़ार से पंगा मत लो। बस देखते रहो बाज़ार की धार…औरऔर भी

ऐसा मत समझिएगा कि खाद्य सुरक्षा बिल पास होने के बाद हम अंगुली पकड़ने के बाद पहुंचा पकड़ने लगे हैं। ये खाद्य सुरक्षा से भी ज्यादा वाजिब सवाल और मांग है जो खैरात नहीं है। खाद्य बिल भले ही हमे अहसास कराए कि सरकार हम पर अहसान कर रही है, बिना इस अहसास के साथ कि आज़ादी के 66 साल जिसमे 55 साल कांग्रेस का शासन था, कांग्रेस को आज भी लगता है कि 84 प्रतिशत नागरिकोंऔरऔर भी