इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा जमीन अधिग्रहण मामले में एक अहम फैसले के तहत शुक्रवार को तीन गांवों में हुआ 3000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया। कोर्ट ने बाकी के गांवों के किसान को 64 फीसदी ज्यादा मुआवजा देने और विकसित जमीन का 10 फीसदी हिस्सा देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने पिछले 30 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए किसानों के वकील पंकज दुबे ने कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 63 गांवों के किसानों की 480 से अधिक याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के शाहबेरी, असदुल्लापुर और देवला गांवों में जमीन अधिग्रहण पूरी तरह रद्द कर दिया, जबकि दो गांवों की याचिकाएं खारिज कर दीं। उनके मुताबिक बाकी 58 गांवों के किसानों को कोर्ट ने अब तक मिले मुआवजे से 64 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा और 10 फीसदी विकसित जमीन देने के आदेश दिए हैं। दुबे ने कहा कि अदालत ने राज्य सरकार को ग्रेटर नोएडा और नोएडा में जमीन अधिग्रहण में हुई अनियमितताओं की जांच कराने के आदेश भी दिए हैं।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 63 गांवों के किसानों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर नोएडा अथॉरिटी द्वारा किए गए जमीन अधिग्रहण को चुनौती दी थी। किसानों का कहना है कि अथॉरिटी ने सरकारी काम बताकर उनकी जमीन औने-पौने भाव में ले ली थी और बाद में उसे बिल्डरों को बेंच दिया।
कनफेडरेशन ऑफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई) के अध्यक्ष (एनसीआर) पंकज बजाज ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ‘संतुलित’ फैसला बताया। उनका कहना था कि इससे नोएडा एक्सटेंशन में परियोजनाएं दोबारा आ सकेंगी। उन्होंने कहा कि नोएडा एक्सटेंशन की परियोजनाओं में धन लगाने वाले निवेशक व मकानों के खरीदार अब सुरक्षित हैं। इस निर्णय के बाद किसानों को प्रति एकड़ डेढ़ करोड़ रुपए मुआवजा मिलेगा जो पहले 90 लाख रुपए प्रति एकड़ था।
बजाज के मुताबिक, “तीन गांवों का भूमि अधिग्रहण रद्दे करने का कोई व्यापक असर नहीं होगा क्योंकि शाहबेरी गांव के मकानों के खरीदार पहले ही अन्य परियोजनाओं की ओर रुख कर चुके हैं और अन्य दो गावों में कोई परियोजना नहीं है।”