प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के लगभग सभी 40 मुख्य बिंदुओं पर सरकार और गांधीवादी अण्णा हज़ारे के पक्ष के बीच एक दौर की बातचीत सोमवार को पूरी हो गई। लेकिन प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को इस विधेयक के दायरे में लाने के बारे में अभी कोई सहमति नहीं बन पाई। सरकार हालांकि, करीब आधे बिंदुओं पर सैद्धांतिक रूप से सहमति हो चुकी है।
लोकपाल विधेयक का कारगर मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति की वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता और पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण की सह-अध्यक्षता में सोमवार को यहां चौथी बैठक हुई। बैठक करीब तीन घंटे चली, लेकिन प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लाने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाई। समिति की अगली बैठक 30 मई को होगी।
समिति के सदस्य और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के मूल सिद्धांतों में से लगभग आधे बिंदुओं पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी हैं। कुछ मुद्दों पर अभी सहमति नहीं बन पायी है। ऐसे लंबित मुद्दों पर 30 मई को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिस रफ्तार से समिति का कामकाज आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए हमें उम्मीद है कि हम 30 जून से पहले लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर लेंगे और उसे बाद में संसद के मानसून सत्र में पेश कर दिया जाएगा। हम जून में सप्ताह में कम से कम एक बार और जरूरी हुआ तो सप्ताह में कम से कम दो बार बैठक करने पर भी सहमत हुए हैं।’’