दवा एक ऐसी चीज है जिस पर गरीब से गरीब आदमी भी खर्च करने में कोताही नहीं करता। इसीलिए दवा उद्योग लगातार बढ़ता रहता है। इस पर किसी भी तरह की मंदी की आंच नहीं आती। ऐसे में जमी-जमाई दवा कंपनियों में निवेश करना लंबे समय के लिए सुरक्षित और लाभप्रद माना जाता है। विविमेड लैब्स बीस सालों से ज्यादा पुरानी ऐसी ही कंपनी है। जुलाई 2005 में उसका पब्लिक इश्यू आया था जिसमें उसके दस रुपएऔरऔर भी

जहां सारे कुएं में भांग पड़ी हो, वहां समझदारी की बात करना बेवकूफी है। हमारे शेयर बाजार का यही हाल है। ऑपरेटर, म्यूचुअल फंड और एफआईआई अंदर की खबरों पर काम करते हैं। बाजार इतना छिछला व छिछोरा है कि इनकी खरीद की खबर भी अंदर की खबर बन जाती है। खिलाड़ी लोग इन्हीं खबरों के आधार पर खेल करते हैं। कुछ हैं जो इन्हें कहीं न कहीं फुसफुसा देते हैं। ऐसे लोग गिने-चुने हैं। कुछ हैंऔरऔर भी

गांधीमती एप्लायंसेज चेन्नई की कंपनी है। एलपीजी स्टोव और मिक्सर ग्राइंडर बनाती है। तितली इसका समूह और ब्रांड है। दुकानों में तितली छाप के एलपीजी स्टोव व मिक्सर ग्राइंडर हो सकता है, देखें हों आपने। सरकार तक को साध कर रखती है कंपनी। उसे तमिलनाडु सरकार से हाल ही में करीब 285 करोड़ रुपए के टेबल टॉप वेट ग्राइंडर व मिक्सर ग्राइंडर सप्लाई करने ऑर्डर मिल रखा है जिसे उसे चालू वित्त वर्ष 2011-12 में ही पूराऔरऔर भी

यहां-वहां, जहां-तहां, मत पूछो कहां-कहां। हर जगह शेयरों को खरीदने की जितनी भी सलाहें होती हैं, वे किसी न किसी ब्रोकरेज फर्म या उनकी तनख्वाह पर पल रहे एनालिस्टों की होती हैं। अगर कोई खुद को स्वतंत्र विश्लेषक भी कहता है तो उनकी अलग प्रोपराइटरी फर्म होती है जिससे वह खुद निवेश से नोट बना रहा होता है। क्या इन तमाम बिजनेस चैनलों या समाचार पत्रों में एनालिस्टों या ब्रोकरों की दी गई सलाहों पर भरोसा कियाऔरऔर भी

अपना देश लगता है उलटबांसियों का देश है। आयात निर्यात जमकर बढ़ रहा है। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच निर्यात 54 फीसदी तो आयात 40 फीसदी बढ़ा है। इससे कंटेनरों को बंदरगाहों तक लाने-ले जाने वाली कंपनियों का धंधा भी बढ़ा है। लेकिन तमाम कार्गो कंपनियों के शेयर पिटे पड़े हैं। सरकारी कंपनी कंटेनर कॉरपोरेपशन (कॉनकोर) की हालत तो कुछ ज्यादा ही खराब है। धंधा बुरा नहीं है क्योंकि जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभऔरऔर भी

एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.04 रुपए। शेयर चल रहा है 73.35 रुपए पर, यानी 70.53 के पी/ई अनुपात पर। जी हां, आज हम चर्चा करेंगे असाही इंडिया ग्लास की। लेकिन इससे पहले बता दें कि 16 अगस्त को हमने कहा था कि आइनॉक्स लीज़र दो माह में 10-20 फीसदी रिटर्न देगा। तब यह 43 रुपए पर था। कल एक महीना बीतने से पहले ही यह ऊपरऔरऔर भी

सद्भाव इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर व कंस्ट्रक्शन उद्योग की उन गिनी-चुनी कंपनियों में शामिल है जिन्होंने कमजोरी के दौर में भी मजबूती दिखाई है। जून 2011 की तिमाही में उसकी आय साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 44.09 फीसदी बढ़कर 612.87 करोड़ और शुद्ध लाभ 32.34 फीसदी बढ़कर 33.80 करोड़ रुपए हो गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय 75.76 फीसदी बढ़कर 2209.17 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 122.12 फीसदी बढ़कर 119.59 करोड़ रुपए होऔरऔर भी

केईसी इंटरनेशनल। अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी रखनेवाली आरपीजी समूह की मुख्य कंपनी। 40-45 फीसदी धंधा भारत से, बाकी बाहर से। करीब महीने भर पहले 400 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर मिले। उससे हफ्ते भर पहले जून 2011 की तिमाही के नतीजों से सामने आया कि उसकी बिक्री 20.9 फीसदी और शुद्ध लाभ 25.4 फीसदी बढ़ा है। तब तक उसके पास 8116 करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर थे। अब 8516 करोड़ के हो गए हैं। साल भर पहले अमेरिका मेंऔरऔर भी

साल भर पहले बीएसई सेंसेक्स 18,600 पर था और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 710 रुपए पर। तब से लेकर अब तक सेंसेक्स 9.56 फीसदी गिरकर 16,821 पर आ चुका है, जबकि बालकृष्ण इंडस्ट्रीज 21.76 फीसदी बढ़कर 864.50 (172.90 X 5) पर पहुंच चुका है। हमने 3 सितंबर 2010 को पहली बार इस कंपनी में निवेश की सलाह दी थी और यह निवेश बाजार के गिरने के बावजूद साल भर में 21 फीसदीऔरऔर भी

दो दिन का राष्ट्रीय अवकाश। एक, रमज़ान के बाद खुशी मनाने का मौका। दूसरा, हर शुभारंभ के देव गणपति को घर बुलाने का दिन। एक त्योहार मुस्लिम का, एक हिंदू का। न जाने वो दिन कब आएगा, जब हमें अहसास ही नहीं होगा कि यह हिंदू का त्योहार है या मुस्लिम का। जैसे, आमिर, सलमान या शाहरुख को अपना मानते वक्त हमें भान ही नहीं रहता कि ये सभी मुस्लिम हैं। खैर, यह राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया हैऔरऔर भी