महाकवि कालिदास अपने समय के महान विद्वान थे। उनके कंठ में साक्षात सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा। उनसे बड़ा ज्ञानी संसार में कोई दूसरा नहीं। एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रणऔरऔर भी

हम बहुत सारी चीजों को ही नहीं, बहुत सारे लोगों को भी टेकन-फॉर ग्रांटेड ले लेते हैं। खासकर उन लोगों को जो हम से बेहद करीब होते हैं जैसे बीवी-बच्चे। ये लोग हमारे अस्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं उसी तरह जैसे हमारे हाथ-पांव, हमारी आंख-नाक, हमारे कान जिनके होने को हम पूरी तरह भुलाए रहते हैं जब तक इनमें से किसी को चोट नहीं लग जाती। इनके न होने का दर्द उनसे पूछा जाना चाहिए जोऔरऔर भी

किशोर ओस्तवाल जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी-जल्दी करने की इच्छा होती है। सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं। उस समय ये प्यारी-सी कथा हमें याद आती है। दर्शन-शास्त्र के एक प्रोफ़ेसर क्लास में आए और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं। उन्होंने अपने साथ लाई एकऔरऔर भी

हम हिंदुस्तानियों के साथ मुश्किल यह है कि हम में से बहुतेरे लोग नई से नई समस्या का भी समाधान पुराने सूत्रों में खोजते हैं। झुमका गिरा है बरेली में और उसे ढूंढने निकल पड़ते हैं श्रावस्ती में। आज के समाधान के लिए गुजरे हुए कल को टटोलते हैं। पूरी गरदन 90 से 180 डिग्री तक मोड़ देते हैं। मुड़-मुड़के देखने के आदी हो गए हैं हम। सवाल उठता है कि जो चीज़ आज घट रही है,औरऔर भी

किसी आदमी को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है कि उसके आत्मविश्वास को खत्म कर दो। और, पूरी की पूरी पीढ़ी को खत्म करने का भी यही फॉर्मूला है। कई बार सोचता हूं कि हम अपनी बातों की पुष्टि के लिए पुराने लोगों का सहारा क्यों लेते हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा था, महात्मा बुद्ध ने ज्ञान दिया था, तुलसीदास रामचरित मानस में कहते हैं, कबीर कहते थे, रहीम बोले थे, गांधी का कहनाऔरऔर भी

इसलिए नहीं कि उल्लू रात के अंधेरे में देखता है और हम चारों तरफ अंधकार से घिरे हैं, बल्कि इसलिए कि कौए की आंखें सिर के दो तरफ होती हैं और वह एक बार में एक ही तरफ देख पाता है, इसलिए हमेशा ‘काक-चेष्ठा’ में गर्दन हिलाता रहता है। जबकि उल्लू की आंखें चेहरे पर सीधी रेखा में होती हैं। वह कौए की तरह किसी चीज़ को एक आंख से नहीं, बल्कि दोनों आंखों से बराबर देखताऔरऔर भी

सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रणाम जोरि जुग पाणी। दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करो क्योंकि सृष्टि के कण-कण में राम हैं, भगवान हैं। अच्छा है। परीक्षा में प्रश्नपत्र खोलने से पहले बच्चे आंख मूंदकर गुरु या भगवान का नाम लेते हैं। अच्छा है। नए काम का श्रीगणेश करने से पहले माता भगवती के आगे धूप-बत्ती जला लेते हैं। अच्छा है। क्या बुराई है। हम किसी का कुछ बिगाड़ तो नहीं रहे। एक बार गांव में एकऔरऔर भी