मंगलवार को गिरते बाजार में भी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के शेयर तब 4.54 फीसदी उछल गए जब पता चला कि जयराम रमेश को पर्यावरण मंत्रालय से हटा दिया गया है। साथ ही दस रुपए अंकित मूल्य से भी नीचे जा चुके बीएजी फिल्म्स के शेयर भी 10 फीसदी उछल गए जब पता चला कि उसके कर्ता-धर्ता राजीव शुक्ला को मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है।
जयराम रमेश पर्यावरण के मसले पर किसी कार्यकर्ता की तरह सक्रिय थे। उनकी सक्रियता से पहली बार लगा कि यह भी कोई काम का मंत्रालय है। लेकिन शरद पवार की करीबी कंपनी एचसीसी से लेकर लंदन में बैठे अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह को उन्होंने परेशान कर रखा था। जंगल के मसले पर वे कभी-कभी कंपनियों के बजाय आदिवासियों के पक्ष में झुके नजर आते थे। बीटी बैगन के बढ़ने पर भी उन्होंने अडंगा डाला था।
यह बात कार्यकर्ता टाइप सिविल सोसायटी के लोगों को भले ही भायी हो, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लगता है कि जयराम की यह भंगिमा पसंद नहीं आई और उन्होंने पर्यावरण व वन मंत्रालय उनसे लेकर जयंती नटराजन को दे दिया। हालांकि जयराम को प्रोन्नति देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय का विशाल समुद्र जैसा ऐसा काम दे दिया है, जहां रमेश को अपना कद दिखाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
दूसरी तरफ सोनिया के इशारे पर खास पहल हुई है बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह देकर। पूर्व पत्रकार और कनपुरिया गीटबाज राजीव शुक्ला की कांग्रेस में एंट्री खुद राजीव गांधी के जरिए हुई थी। कुछ साल पहले राजीव शुक्ला जिस जबरदस्त जोड़तोड़ और धन के खेल से राज्यसभा में पहुंचे थे, उससे बहुत से लोग वाकिफ ही होंगे। शायद उनके ‘हुनर’ को वाजिब अहमियत देते हुए अब उन्हें मनमोहन सरकार में संसदीय मामलों का राज्य मंत्री बना दिया गया है। यह अलग बात है कि उनके साथ इसी पद पर उत्तराखंड के नेता हरीश रावत को भी चस्पा कर दिया है। हरीश रावत पहले की तरह कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के भी राज्य मंत्री भी बने रहेंगे।
मनमोहन सिंह ने मंगलवार को मंत्रिमंडल में बाकी खास कुछ नहीं बदला है। सात बाहर निकले हैं तो आठ अंदर आ गए हैं। उनके कुल मंत्रियों की संख्या 67 से अब 68 हो गई है। थकेले विदेश मंत्री एस एम कृष्णा को जस का तस ऊंधने के लिए छोड़ दिया गया है। प्रणव दा के पास वित्त मंत्रालय रहना ही रहना था। पी चिदंबरम के गृह मंत्रालय में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। उनके साथ अलवर के सांसद जितेंद्र सिंह को राज्य मंत्री के बतौर नत्थी कर दिया गया है। ए के एंटनी रक्षा मंत्रालय में ईमानदारी निभाते रहेंगे।
वीरप्पा मोइली को कानून मंत्रालय से हटाकर कॉरपोरेट कार्य मंत्री बना दिया गया है, जबकि उनकी छोड़ी कानून मंत्री की कुर्सी सलमान खुर्शीद के हवाले कर दी गई। तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी का दर्जा बढ़ाकर उन्हें केबिनेट में जगह दी गई और उन्हीं की पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा छोड़ा गया रेल विभाग उन्हें सौंप दिया गया। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का राज्य मंत्री बनाया गया है, जबकि रेल हादसे में मौके पर जाने से नानुकुर करनेवाले मुकुल रॉय को रेल से निकाल कर जहाजरानी में बतौर राज्य मंत्री डाल दिया गया है।
बेनी प्रसाद वर्मा को इस्पात मंत्रालय के कैबिनट मंत्री का ओहदा दे दिया है। इससे पहले वे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के तौर पर यही मंत्रालय देख रहे थे। मंत्रिमंडल में शामिल अन्य नए चेहरों में डिब्रुगढ़ के सांसद पवन सिंह घाटोवार (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग) और मिलिंद देवड़ा (संचार व सूचना प्रौद्योगिकी) शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के वयोवृद्ध सांसद वी किशोर चंद्र देव ने पहली बार मंत्रिमंडल में कदम रखा है। एस जयपाल रेड्डी के बाद राज्य से मंत्रिमंडल में पहुंचे वह दूसरे मंत्री हैं।
मंत्रिमंडल से हटाए गए सात मंत्रियों में मुरली देवड़ा, एमएस गिल, बी के हांडिक, कांतिलाल भूरिया, दयानिधि मारन, ए साई प्रताप और अरूण यादव शामिल हैं। मारन ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नाम आने के बाद और मुरली देवड़ा बढ़ती उम्र के बहाने इस्तीफा दे दिया था। अरुण यादव मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता सुभाष यादव के बेटे हैं और उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया है।
वैसे, मंत्रिमंडल के पुनर्गठन करने की कवायद अभी अधूरी मालूम होती है क्योंकि कपड़ा और जल संसाधन के अतिरिक्त प्रभार क्रमशः आनंद शर्मा और पी के बंसल को दिए गए हैं। शर्मा के पास वाणिज्य व उद्योग और बंसल के पास संसदीय मामले पहले से हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल दूरसंचार का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं, जबकि प्रवासी भारतीय मामले मंत्री व्यालार रवि के पास नागर विमानन विभाग का अतिरिक्त प्रभार है।
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के अकेले सांसद चरण दास महंत ने कृषि और खाद्य संस्करण में राज्य मंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में प्रवेश किया है। गुरूदास कामत को गृह और संचार मंत्रालय से एक नए मंत्रालय पेयजल और साफ-सफाई में स्वतंत्र प्रभार के साथ भेजा गया है। ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख को विज्ञान व प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान में भेजा गया है। विदेश राज्य मंत्री ई अहमद को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार भी सौंप दिया गया है।
श्रीकांत जेना ने 2009 में राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद नाराजगी जाहिर की थी। उन्हें सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। हालांकि वे रसायन और उर्वरक विभाग में राज्य मंत्री बने रहेंगे, जबकि डीएमके के एम ए अलागिरी इस विभाग में केबिनेट मंत्री रहेंगे। जेना 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार में केबिनेट मंत्री थे।
डीएमके के किसी प्रतिनिधि को ए राजा और दयानिधि मारन के स्थान पर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। कुछ विभागों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर रखा गया है ताकि अगर डीएमके अपने प्रतिनिधि भेजना चाहे तो उन्हें मंत्रिमंडल में मुनासिब जगह दी जा सके। उम्मीद है कि डीएमके कोयंबटूर में 23-24 जुलाई को होने वाली महासभा में इस मामले पर कोई फैसला कर सकती है।