हम बराबर कहते रहे हैं कि ऐसे स्टॉक को मत हाथ लगाइए जो काफी महंगे हैं यानी जिनका पीई अनुपात बहुत ज्यादा है। खासतौर पर हमने आपको बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के बारे में आगाह किया था। बैंकिंग में आप वास्तविक स्थिति से रू-ब-रू हो चुके हैं। ऑटो में अभी थोड़ा वक्त है और बजट तक इंतजार किया जा सकता है। हमने आपको ऐसी नई रीयल्टी कंपनियों के बारे में भी चेताया था जिन्होंने जमीन का जखीरा बनाने के लिए जमकर कर्ज ले रखा है। रीयल्टी के धंधे में विकास की गति नई मांग से जुड़ी हुई है और ऐसी कंपनियां भरोसे के काबिल नहीं हैं।
इनके बजाय सेंचुरी और बॉम्बे डाईंग जैसे स्टॉक लेने चाहिए जिनका मूल व्यवसाय रीयल्टी नहीं है और जिनके शेयर अभी सामान्य मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं। जमीन तो इन्हें बोनस में मिली हुई है। फिर ये बात भी है कि इन स्थापित कंपनियों को कम से कम अपनी प्रॉपर्टी को विकसित करने के लिए ऋण लेने की जरूरत नहीं है। इन्हें लेना शुरू कर दीजिए और आपके धन का बढ़ना तय है।
हमारी साफ राय है कि एलआईसी हाउसिंग और सरकारी बैंकों के लोन घोटाले पर ज्यादा बेचैन होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे लिए यह कोई अनोखी बात नहीं है। आखिर कौन भ्रष्ट नहीं है? क्या आप 500 का नोट टिकाए बगैर थाने में एफआईआर लिखा सकते हैं? क्या आप मुंबई के नरीमन प्वाइंट में बीएमसी के कांट्रैक्टर को 60 रुपए दिए बगैर अपनी गाड़ी पार्क कर सकते हैं? क्या आप बिना किसी एजेंट के राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट हासिल कर सकते हैं? आखिर, मनी मैटर्स ने भी तो एजेंट का ही काम किया है।
यहां तक कि एक मंत्री ने मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि उसे बलि का बकरा बना लिया गया, जबकि उसका नाम किसी घोटाले में नहीं आया था। जाहिर है कि भारत में इस बात को पूरी तरह स्वीकार लिया गया है कि सरकारी विभाग का मतलब ही भ्रष्टाचार है चाहे वो पुलिस हो, आरटीओ हो, आयकर विभाग, सेल्स टैक्स, एक्साइज, बीएमसी या यहां तक चुंगी विभाग ही क्यों न हो। ऐसे घोटाले में पकड़े गए भ्रष्ट अफसर के बगल में बैठा अफसर अमूमन यही कहता है, “ओह! बंदे की किस्मत खराब थी। काश, वो सब कुछ कायदे से मैनेज कर लेता। मुझे कोई फिक्र नहीं क्योंकि मैं तो पकड़ा नहीं गया हूं।”
करोड़ों लोग हैं जो आईटी रिटर्न नहीं भरते, लेकिन आयकर विभाग उन्हें नहीं पकड़ता। वो तो ईमानदार करदाताओं को ही परेशान करता है। दबी जुबान से बता दूं कि बाजार में जबरदस्त चर्चा है कि एक नामी-गिरानी अंग्रेजी बिजनेस चैनल के एंकर मोशाय ने 6 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स भरा है। क्या बात है! इसका मतलब उस एंकर ने 20 करोड़ रुपए कमाए हैं, जबकि उसका चैनल तो अपने बिजनेस के दम पर 20 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ भी नहीं कमा पा रहा? अंततः आपकी औकात मायने रखती हैं और हमें इस तरह के घोटालों को नजरअंदाज कर देना चाहिए। यह काम आप सीबीआई या दूसरी जांच एजेंसियों पर छोड़ दीजिए।
इन घोटाओं में कितने दोषियों को सजा दी जाती है, यह जरूर अपने देश में गौर करने का दिलचस्प मसला है। राष्ट्रमंडल खेलों से शुरू हुआ और 2जी स्पेक्ट्रम तक पहुंचा घोटाला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। नई-नई फुलझड़ी निकलती जा रही है। लोकतंत्र का संचालन ही दांव पर लग गया है क्योंकि पिछले दस दिनों से संसद में कोई कामकाज नहीं हो सका है।
हालांकि बाजार ने इस तमाम मसलों पर नवंबर में कुछ ज्यादा ही तीखी प्रतिक्रिया दिखाई है। 25 नवंबर को अचानक चीखने-चिल्लाने के दिन के रूप में याद किया जाएगा। लेकिन गिरावट के इस दौर में तमाम कंपनियों का मूल्यांकन बहुत आकर्षक स्तर पर आ गया है। एफआईआई का नजरिया एकदम साफ है। वे कहते हैं कि उभरते बाजारों में ऐसी चीजें स्वाभाविक हैं खासकर वैसे देश में जो भ्रष्टाचार के मामले में काफी ऊंचे पायदान पर हो। इसलिए दमदार शेयरों की खरीद पर ध्यान लगाए रखें।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में क्यूई-2 या क्वांटिटेटिव ईजिंग के दूसरे चरण में डाली गई रकम डाउ जोंस सूचकांक को 15,000 अंक तक ले जाएगी। भारत सरकार जनवरी में नए खर्च करने जा रही है और बाजार तब नई ऊंचाई पकड़ेगा। इसलिए निवेश करते रहिए। सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन, कांग्रेस पार्टी या प्रधानमंत्री का कोई बालबांका नहीं होनेवाला। मेरी सलाह है कि किसी पर तो भरोसा करें, थोड़ी निष्ठा दिखाएं और जहां भी संभव हो, निवेश करते रहें।
काम ही पूजा है। काम-धंधा स्वर्ग जैसे आनंद का एक माध्यम है और हम इसके बिना खुश नहीं रह सकते।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
ANIL BHAI , WHY HCC IS FALLING, SHOULD WE HOLD THIS OR SELL.