पंजाब में इस बार गेहूं की बंपर फसल हुई है। इसी अप्रैल माह के पहले हफ्ते से गेहूं की नई फसल मंडियों में आनी शुरू हो जाएगी। उम्मीद है कि इस बार वहां गेहूं का उत्पादन कम से कम 157 लाख टन रहेगा, वह भी तब जब इस बार 35.21 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है, जो पिछले साल के बुवाई रकबे 35.38 लाख हेक्टेयर से 17,000 हेक्टेयर कम है। ताजा हालात यह हैं किऔरऔर भी

एस पी सिंह सरकारी भंडारों में निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा अनाज, पिछले साल से बेहतर चीनी सत्र और सस्ते खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता!… इसके बाद भी महंगाई मार रही है। दरअसल सरकार खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में बुरी तरह चूक गई है। संसद में बहस के दौरान चीनी की कीमतों में व़ृद्धि के बहाने प्रधानमंत्री ने इस असफलता को स्वीकार भी कर चुके हैं। उचित समय पर सही निर्णय लेने में खाद्य मंत्रालय सेऔरऔर भी

सुधाकर राम संगीतकार को संगीत रचना चाहिए, कलाकार को कलाकृति बनानी चाहिए, कवि को लिखना ही चाहिए, अगर उसे आत्मसंतोष व अंदर की शांति हासिल करनी है। आप जो काम सबसे अच्छा कर सकते हैं, आपको वही करना चाहिए: अब्राहम मास्लो हमारे बीच बहस चल रही थी, लेकिन तर्क-वितर्क वैसे ही थे जैसे आपके अपने किसी दोस्त के साथ हो सकते हैं। मेरा दोस्त एक जबरदस्त इंसान है जिसने अपनी जिंदगी तमिलनाडु में सरकारी स्कूल के बच्चोंऔरऔर भी

डॉ. डी सुब्बाराव दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जिसकी अर्थव्यवस्था वित्तीय बाजार की व्यापक पहुंच व विस्तार के बिना मजबूत और विकसित हुई हो। और, वित्तीय बाजार का ऐसा विस्तार तभी संभव है जब घर-परिवार व उसके सदस्य वित्तीय रूप से साक्षर हों और बचत से लेकर उधार लेने व निवेश करने के बारे में पूरी जानकारी के साथ सोच-समझकर फैसला कर सकें। यहां यह भी कहा जा सकता है कि अगर अमेरिका के लोगऔरऔर भी

अनिल रघुराज हमारे यहां बैंगन को भांटा कहते हैं। इस भांटे की स्थिति यह है कि बचपन में किसी को चिढ़ाने के लिए हम लोग कहते थे – आलू भांटा की तरकारी, नाचैं रमेशवा की महतारी। रमेशवा की जगह इसमें, नाम किसी का भी – जयराम, मनमोहन, पवार, सिब्ब्ल या सोनिया रखा जा सकता था। मेरे बाबूजी मुंबई (तब की बंबई) में एक कपड़े की दुकान पर काम करने आए। उन्हें अक्सर हर दिन भांटे की तरकारीऔरऔर भी

देश में अनाजों के भंडारण की सबसे बड़ी सरकारी संस्था भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने तय किया है कि वह कमोडिटी स्पॉट एक्सचेंजों के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं बेचेगा। वह अपनी खुला बाजार स्कीम (ओएमएस) के तहत ऐसा करेगा। उसने इसकी शुरुआत 16 मार्च 2010 से नेशनल स्पॉट एक्सचेंज के जरिए कर दी है। यह अभी प्रायोजिक स्तर पर किया जा रहा है और देश में कुछ ही जगहों पर ऐसा किया जा रहा है।औरऔर भी

दुनिया भर में साल 2009 को ऐसा साल माना जाएगा जब लाखों आम लोगों को अपने घर-बार और नौकरी-चाकरी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन हाल ही जारी फोर्ब्स पत्रिका की लिस्ट के मुताबिक दुनिया में खरबपतियों की संख्या साल भर पहले की 793 से करीब डेढ़ गुनी होकर 1011 हो गई है। इसमें भी उन हेज फंडों की सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है जिनकी वजह से वैश्विक वित्तीय संकट ने आग पकड़ी थी। फोर्ब्सऔरऔर भी

देश के प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक, यूनियन बैंक ने म्यूचुअल फंड कारोबार में उतरने की तैयारी कर ली है। इसके लिए उसने बेल्जियम के केबीसी ग्रुप के साथ गठजोड़ किया है। इस तरह बनी संयुक्त उद्यम एसेट मैनेजमेंट कंपनी में यूनियन बैंक की इक्विटी भागीदारी 51 फीसदी और केबीसी ग्रुप की भागीदारी 49 फीसदी होगी। बैंक ने सेबी के पास आवेदन कर दिया है और जल्दी ही उसे आवश्यक मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है। बता दें किऔरऔर भी

इस बार के बजट में कर प्रस्तावों को पेश करते वक्त वित्त मंत्री प्रणब ने कौटिल्य का एक वाक्य उद्धृत किया था कि एक बुद्धिमान महा-समाहर्ता राजस्व संग्रह का काम इस प्रकार करेगा कि उत्पादन और उपभोग पर नुकसानदेह असर न पड़े… वित्तीय समृद्धि दूसरी बातों के साथ लोक समृद्धि, प्रचुर पैदावार और व्यवसाय की समृद्धि पर निर्भर करती है। लेकिन इसके अलावा कौटिल्य या चाणक्य ने कर संग्रह के बारे में एक और दिलचस्प बात कहीऔरऔर भी

अर्थकाम हिंदी समाज का प्रतिनिधित्व करता है। यह 42 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उस समाज को असहाय स्थिति से निकालकर प्रभुतासंपन्न बनाने का प्रयास है जो फैसला करने की स्थिति में नहीं है। उसे घोड़ा बनाकर कोई और उसकी सवारी कर रहा है। इसका अधिकांश हिस्सा ग्राहक है, उपभोक्ता है, लेकिन वह क्या उपभोग करेगा, इसे कोई और तय करता है। वह अन्नदाता है किसान के रूप में, वह निर्यातक है सप्लायर है छोटी-छोटी औद्योगिकऔरऔर भी