अमेरिकी बाजारों की गिरावट और हंगरी के संकट के बावजूद अगर बाजार (बीएसई सेंसेक्स) 431 अंक तक गिर गया और बंद हुआ करीब 337 अंक की गिरावट के साथ तो इसमें बहुत परेशान होने की बात नहीं है। एनएसई निफ्टी में इसी तरह का करेक्शन आया है। ध्यान दें कि ऐसे हर करेक्शन के बाद बाजार ने वापसी की है और एनएसई निफ्टी पूरी दृढ़ता के साथ 5000 और 5100 का स्तर पार कर गया है। आजऔरऔर भी

जी-20 के सम्मेलन तक में दुनिया भारत की ओर देख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति को लगा कि अब भारत के साथ रिश्ते मधुर बनाने का वक्त आ गया है क्योंकि भारत जिस रफ्तार से विकास कर रहा है, उससे वह एक दिन सारी दुनिया का चहेता बन जाएगा और विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकाल सकता है। यह भी बड़ी विचित्र बात है कि निवेशक और ट्रेडर बड़ी आसानी से चीन को किनारे कर रहे हैं।औरऔर भी

एक बार फिर यह बात साबित हो गई कि ज्यादातर ट्रेडर और निवेशक अपना दिमाग ही इस्तेमाल नहीं करते। वे बिजनेस चैनलों पर आनेवाले मुट्ठी भर एनालिस्टों की बातों पर यकीन करके गुमराह हो जाते हैं। असल में ये लोग ट्रेडरों और निवेशकों का एकदम ब्रेन-वॉश कर देते हैं। जब कंप्यूटर पर पंचिंग की एक गलती से रिलायंस को झटका लगा और बाजार (सेंसेक्स) 400 अंक गिर गया तो अधिकांश एनालिस्ट कहने लगे कि अब तो बाजारऔरऔर भी

कल डाउ एस एंड पी ने वित्त वर्ष 2010-11 में आय का अनुमान 30 फीसदी बढ़ा दिया जो साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि अमेरिकी बाजार में तेजी का दौर शुरू हो चुका है। यूरोप से तो विश्व अर्थव्यवस्था को कोई फर्क पड़नेवाला नहीं। भारत ने शानदार विकास के आंकड़े पेश कर दिए हैं। बड़े लोगों को ब्याज दर बढ़ने की आशंका सता रही है, जबकि यूरोप में क्या होगा, इससे हम परेशान होऔरऔर भी

कल मैंने लिखा कि आईएफसीआई को बेचकर मुनाफा कमा लें और आज सुबह देखा तो इसने ट्वेंटी-ट्वेंटी जैसी रफ्तार पकड़ रखी थी। असल में आईएफसीआई ऐसा भागनेवाला स्टॉक है जिसे ट्रेडर खट से पकड़ लेते हैं। कल इसके ओपन इंटरेस्ट में एक करोड़ शेयर बढ़ गए थे और मुझे अंदेशा था कि अगर बाजार नहीं गिरता तो यह 95 फीसदी की लिमिट में जा सकता था। इसीलिए मैंने मुनाफावसूली की सलाह दी थी। दरअसल, हम अपने बाजारोऔरऔर भी

ग्रीस के ऋण संकट जैसे कई मुद्दों के बीच से गुजरते हुए बाजार (निफ्टी) ने 4800 से 5088 तक का लंबा फासला तय कर लिया। ध्यान दें, ये मुद्दे रोलओवर के ठीक पहले उछाले गए और हल्ला मचाया गया कि अब सेंसेक्स 12,000 तक गिर जाएगा। क्या कहें, अपने यहां यह बराबर का चक्कर बन गया है क्योंकि बाजार को चलाने व नचाने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे स्टॉक एक्सचेंज ऐसे खिलाड़ियों से भरेऔरऔर भी

मैं भी दुनिया के दूसरे विशेषज्ञों से इत्तेफाक रखता हूं कि मंदड़ियों की रैली तेजड़ियों की रैली से ज्यादा दमदार होती है। लेकिन मैं उनकी इस बात से सहमत नहीं हूं कि बाजार अभी मंदड़ियों की गिरफ्त में है। मैं यूरोपीय संकट, अमेरिकी बाजार, भारतीय बाजार और इनको संचालित करनेवाले मूल कारकों से भलीभांति वाकिफ हूं। और, सब कुछ देखने-परखने के बाद भी इस बात पर कायम हूं कि बाजार अभी नई ऊंचाई पर जाएगा। हालांकि यहऔरऔर भी

मार्क मोबियस का यह कहना मेरे लिए बड़ा सुकून भरा रहा कि वे पिछले एक महीने से ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत व चीन) देशों में खरीदारी कर रहे हैं। मुझे तसल्ली हुई कि कम से कम मेरा एक चाहनेवाला खुल्लम-खुल्ला मान रहा है कि अनिश्चितता का दौर बाजार में खरीदारी का सबसे अच्छा वक्त होता है। निफ्टी जब 5000 या 5050 अंक पर था, तभी हमने अनुमान जताया था कि वैश्विक संकट के चलते यह 4850 तकऔरऔर भी

इस सेटलमेंट में अब केवल एक दिन बचा है। लेकिन बाजार में और बढ़त आ सकती है केवल इसलिए कि अभी सौदों की स्थिति बहुत ही ज्यादा ओवरसोल्ड वाली है। कल का डर आपकी सोच के दरवाजे बंद कर देता है और आप एक अच्छा मौका गंवा देते हैं। वोलैटिलिटी सूचकांक, इंडिया वीआईएक्स का 20 फीसदी के सामान्य स्तर से एकबारगी 46 फीसदी पर पहुंच जाना ही दिखाता है कि बाजार पर किस हद तक डर छायाऔरऔर भी

टेक्निकल चार्ट के ग्राफ नीचे-नीचे डूब गए तो निवेशकों का भरोसा भी डूब रहा है। पूरे बाजार में डर छा गया है। खरीदार कोई भी नया सौदा करने से डर रहे हैं। निवेशक नफा-नुकसान जो भी, उसी पर बेचकर निकल लेना चाहते हैं। उन्हें बिजनेस चैनलों पर जिस तरह हर तरफ हताशा-निराशा दिखाई जा रही है, उसके अलावा कुछ नहीं दिख रहा। यूरोप के बाजार हर दिन खुलने पर धराशाई हो रहे हैं। अमेरिकी बाजार इन्हीं केऔरऔर भी