कई सारे स्टॉक हैं तेजी की दौड़ में

जी-20 के सम्मेलन तक में दुनिया भारत की ओर देख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति को लगा कि अब भारत के साथ रिश्ते मधुर बनाने का वक्त आ गया है क्योंकि भारत जिस रफ्तार से विकास कर रहा है, उससे वह एक दिन सारी दुनिया का चहेता बन जाएगा और विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकाल सकता है। यह भी बड़ी विचित्र बात है कि निवेशक और ट्रेडर बड़ी आसानी से चीन को किनारे कर रहे हैं। इसे कमोडिटी बाजार पर हो रही चोट से समझा जा सकता है। लेकिन चीन के पास एशिया उप-महाद्वीप के देशों में सबसे विशाल विदेशी मुद्रा भंडार है और वह बहुत मजे से किसी भी संकट से उबर सकता है।

पिछली तिमाही में भारतीय कंपनियों की आय में जिस तरह लगभग 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, ऊपर से बहुत सारी अच्छी चीजें अभी होनी बाकी हैं, उसे देखते हुए मैं मानता हूं कि भारत 2015 तक निवेश के लिए एकदम सही जगह है। इसके बाद ही हम किसी दूसरे अभरते हुए देश की तरफ देख सकते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण के हटने से ऑटो कंपनियों पर थोड़ा-बहुत असर पड़ सकता है और इनके शेयरों में हम कुछ मुनाफावसूली देख सकते हैं। लेकिन रिजर्व बैंक का अतिरिक्त तरलता के बारे में जो मानना है, उससे यही लगता है कि वह ब्याज दरों में वृद्धि का कदम तीन-चार महीनों और आगे खिसका सकता है। इससे ऑटो शेयरों को थोड़ी राहत मिल सकती है।

वैसे, जब तक सरकार अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने का सिलसिला जारी रखती है तब तक ऑटो सेक्टर में शानदार विकास होता रहेगा। मेरी बड़ी चिंता ऑटो कम्पोनेंट सेक्टर को लेकर है। एक तो देश में इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है। दूसरे, कुछ प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय बाजार में उतर रही हैं। इससे हो सकता है कि इसको क्षमता इस्तेमाल की दिक्कत आ जाए। हालांकि आप जानते ही हैं कि ऑटो एंसिलरी मेरा प्रिय सेगमेंट रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि यह सेक्टर अभी अपनी पूरी रवानगी पर नहीं आया है और साल 2010 भी उनके लिए कोई बेहतर नहीं होने जा रहा।

निफ्टी 4800 से लेकर 5100 तक का लंबा फासला तय कर चुका है और जून में स्थितियों में मूलभूत परिवर्तन आ गया है। ऐसा लगता है कि जैसे सेंसेक्स पर भी मानसून की फुहारें पड़ गई हों। लेकिन यह भी सच है कि अभी तक बाजार की मजबूती पर ट्रेडरों का भरोसा जमा नहीं है। उन्होंने बड़े स्तर पर शॉर्ट सौदे कर रखे हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक निफ्टी ऑप्शंस में 4800 और 4900 पर काफी पुट (बेचने के) सौदे हो रखे हैं, जबकि इसी के अनुरूप 5200 की सीरीज में कॉल (खरीदने के) सौदे हुए पड़े हैं। इससे जाहिर होता है कि ट्रेडरों में बाजार की तेजी पर भरोसा नहीं है और उन्होंने काफी शॉर्ट पोजिशन पकड़ रखी है। बाजार इन ट्रेडरों की उम्मीदों को धता बताएगा और मुझे लगता है कि निफ्टी बहुत जल्दी ही 5700 का स्तर छूनेवाला है।

इस समय दांव लगाने के लिए मेरे पसंदीदा शेयर हैं – आरआईएल, रिलायंस पावर, आईएफसीआई, आईडीबीआई, एससीआई और टाटा स्टील। रिलायंस कैपिटल जुलाई के बाद छिपा रुस्तम साबित हो सकता है क्योंकि बैंकिंग लाइसेंस का मिलना इस शेयर में नई उम्मीद जगा देगा। बी ग्रुप के शेयरों में गल्फ ऑयल नई पारी खेलने की तैयारी में है। कंपनी बैंगलोर की अपनी जमीन को डेवलप करना शुरू कर चुकी है। जल्दी ही वह इसके बाद हैदराबाद का नंबर लगानेवाली है। और, हिंदुजा ऑयल के 100 करोड़ डॉलर से अधिक के आईपीओ का मतलब गल्फ ऑयल का आगे आना हो सकता है क्योंकि यह भी उसी प्रवर्तक की कंपनी है।

एक और कैश स्टॉक है एलप्रो इंटरनेशनल। सीएनआई रिसर्च ने जब इसकी शिनाख्त की थी, जब से यह छह गुना बढ़ चुका है। मेरा आकलन है कि एलप्रो इंटरनेशनल में जल्दी ही लहरें उठनेवाली हैं क्योंकि रेलिगेयर के इस स्टॉक से निकलने की कुछ खास वजहें रही हैं। अगले एक साल में बीमा के प्रभाव से इसका वास्तविक मूल्य सामने आ सकता है। मर्क इंडिया पर नजर रखें। प्रोवोग अगले तीन महीने में दोगुना हो सकता है। डीएलएफ में नए मूल्यांकन व रेटिंग की भारी गुंजाइश है और यह तीन महीनों में 450 से 500 रुपए तक जा सकता है। बस, अपने अंदर की आवाजों को सुनिए और उन पर भरोसा कीजिए।

अनजाने में किया गया पाप पाप नहीं होता क्योंकि उसे तो नैतिकता की कसौटी पर तभी कसा जा सकता है जब हमें पहले से उसका ज्ञान होता।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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