कल डाउ एस एंड पी ने वित्त वर्ष 2010-11 में आय का अनुमान 30 फीसदी बढ़ा दिया जो साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि अमेरिकी बाजार में तेजी का दौर शुरू हो चुका है। यूरोप से तो विश्व अर्थव्यवस्था को कोई फर्क पड़नेवाला नहीं। भारत ने शानदार विकास के आंकड़े पेश कर दिए हैं। बड़े लोगों को ब्याज दर बढ़ने की आशंका सता रही है, जबकि यूरोप में क्या होगा, इससे हम परेशान हो रहे हैं। यह एक निराशावादी नजरिया है। ज्यादातर बुद्धिजीवी भी इसी भाषा में बात कर रहे हैं। असल में, इस तरह के लोगों में आमतौर पर जोखिम उठाने की औकात नहीं होती।
मैं बराबर अपनी राय पर कायम हूं और मेरा सुझाव यही रहेगा कि बाजार में हर गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। फिर, इसका फायदा तो खु-ब-खुद सामने आ जाएगा।
कुछ भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि भारत में एल एन मित्तल का ऑफिस शिवालिक बाईमेटल के अधिग्रहण के बारे पुष्टि नहीं कर सका क्योंकि उनका कहना है कि भारतीय ऑफिस को पता नहीं चलता कि लंदन ऑफिस में क्या चल रहा है, जबकि लंदन ऑफिस ने भेजे गए ई-मेल का जवाब देने की परवाह नहीं की। जहां तक शिवालिक की बात है तो उसके प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन उन्होंने एक निश्चित समय में इन्नोवेटिव क्लैड सोल्यूशंस के साथ विलय की संभावना से इनकार भी नहीं किया। इसे परोक्ष रूप से दिया गया संकेत माना जा सकता है।
वैसे, इस बात को किनारे रख दें तब भी शिवालिक में दम है क्योंकि उसका मौजूदा पी/ई अनुपात 10 का है। एन एल मित्तल ने इसे अगर खरीद लिया तो यह बोनस हो जाएगा। कंपनी के कामकाज और संभावनाओं पर नजर डालें तो इसका शुद्ध लाभ 50 फीसदी बढ़ सकता है और तब इसका शेयर अपने-आप ही बढ़ेगा। मेरी जानकारी के अनुसार पिछले दो महीनों में इसमें 30 से 35 रुपए के बीच अच्छी-खासी खरीद हुई है। लेकिन जब भी यह स्टॉक 36 रुपए का स्तर भेदना चाहता है तो प्रतिरोध आ जाता है। यह दिखाता है कि फिलहाल यह शेयर बहुत मजबूत हाथों के मजबूत नियंत्रण में है। इसने आज नई ऊंचाई हासिल की, जिसका मतलब है कि इसमें नई उड़ान काफी करीब है। इस स्टॉक को पोर्टफोलियो में रखना चाहिए क्योंकि यह कई-कई गुना रिटर्न देने की कुव्वत रखता है।
मेटल सेक्टर के शेयरों पर पूरी दुनिया में चोट की जा रही है। लेकिन मेरा मानना है कि केवल मेटल स्टॉक ही सोने जैसा रिटर्न दे सकते हैं। जो नीचे जाता है, वह दोगुनी रफ्तार से बाउंस-बैक करता है। मेटल स्टॉक इस नियम को सही साबित करेंगे। दूसरों की बात भूल जाइए। अब तो चीन और भारत ही तय करेंगे कि मेटल की खपत कहां तक जानी है। भारत सरकार के पास खर्च के लिए 1 लाख रुपए इफरात आ गए हैं और इसका प्रत्यक्ष असर आगे दिखाई देगा।
मेरी अपनी राय है कि बच्चों को आगे बढ़ाने का एक ही तरीका है और वह है तारीफ, तारीफ और… तारीफ।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)