मैं भी दुनिया के दूसरे विशेषज्ञों से इत्तेफाक रखता हूं कि मंदड़ियों की रैली तेजड़ियों की रैली से ज्यादा दमदार होती है। लेकिन मैं उनकी इस बात से सहमत नहीं हूं कि बाजार अभी मंदड़ियों की गिरफ्त में है। मैं यूरोपीय संकट, अमेरिकी बाजार, भारतीय बाजार और इनको संचालित करनेवाले मूल कारकों से भलीभांति वाकिफ हूं। और, सब कुछ देखने-परखने के बाद भी इस बात पर कायम हूं कि बाजार अभी नई ऊंचाई पर जाएगा। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि इस मसले पर वे सही थे या मैं।
दुनिया में मंदड़ियों की किसी रैली में V आकार की रिकवरी नहीं होती। यह सामान्य करेक्शन था और निश्चित रूप से यह V आकार में हुआ करेक्शन है यानी बाजार ऊपर से नीचे जाकर फिर ऊपर आया है। V आकार के ऐसे करेक्शन का मतलब यह है कि गिरने का समय ठीक उठने के समय के बराबर होता है और बाजार का सुधार शॉर्ट सेल करनेवालों को सौदे काटने का पूरा वक्त ही नहीं देता। आमतौर पर तेजड़ियों की राय एकतरफा होती है या समझदार निवेशक हर गिरावट पर खरीद का तरीका अपनाकर इस तरह के करेक्शन में पैसे बनाते हैं। यह बात हमने निफ्टी में सटीक स्तर पर हर दिन अधिकतम खरीद की कॉल देकर साबित कर दी और यह किसी चार्ट-वार्ट पर आधारित नहीं था।
जीडीपी का 10 फीसदी बढ़ना कोई मजाक नहीं है। सरकार के लिए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जुटा लेना एक बड़ी उपलब्धि है, वह भी तब जब वह विनिवेश से 10,000 करोड़ रुपए भी नहीं जुटा पाती थी और पिछले साल अधिकतम 25,000 करोड़ रुपए जुटाए, लेकिन एलआईसी और एसबीआई की मदद से। अब देश आर्थिक विकास के निर्णायक मुकाम पर पहुंच गया है। टेलिकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले एक लाख करोड़ रुपए या तो राजकोषीय घाटे को कम करने में जाएंगे या सामाजिक योजनाओं व अन्य मदों पर निवेश किए जाएंगे जिससे जीडीपी की विकास दर आसानी से 10 फीसदी पर पहुंच सकती है। हम ऐसा 2008-09 में देख चुके हैं।
अधिकांश ट्रेडर, एफआईआई और यहां तक कि एचएनआई (हाई नेटवर्थ व्यक्ति) भी इंतजार कर रहे थे कि निफ्टी कब 4675 से होता हुआ 4000 तक पहुंचता है, उसी तरह जैसे मुंबई में चर्चगेट स्टेशन पर लोगबाग खाली स्लो लोकल के आने का इंतजार करते हैं। लेकिन बाजार ने उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं दिया। सेंसेक्स 15,900 तक जाने के बाद अगर वापस 16,863 तक आया है तो यह कोई मामूली बात नहीं है। परेशानी उन शॉर्ट सेलर्स या खिलाड़ियों को हुई है जो एकतरफा सौदे करते हैं। अपने बारे में कहूं तो मेरी सलाह मानकर इस उतार-चढ़ाव भरे बाजार में भी कम के कम 50 से 100 एचएनआई ने भारी पैसा बनाया है क्योंकि उन्होंने हर गिरावट पर खरीदा और हमेशा फंडामेंटल पर नजर बनाए रखी।
दुनिया में कर्ज के बोझ के मामले में ब्रिटेन दूसरे नंबर और अमेरिका 20वें नंबर पर है, जबकि भारत बड़े कर्जदारों की सूची में है ही नहीं। पिग्स देशों में पुर्तगाल 10वें, आयरलैंड 17वें, ग्रीस 16वें और स्पेन 14वें नंबर पर है। लेकिन इनका आकार तो देखिए! ये विश्व अर्थव्यवस्था में आ रहे सुधार का बाल भी बांका नहीं कर सकते। अमेरिका में खर्च घटाने के उपायों के बाद जबरदस्त रिकवरी हो रही है। ऐसे में तो हमें बाजार नियामक संस्था, सेबी से मांग करनी चाहिए कि वह देशी-विदेशी सारे एनालिस्टों के लिए आचार संहिता बना दें और बंदिश लगा दे कि वे अनाप-शनाप सलाह नहीं दे सकते। तब देखिए, आम लोगों को कैसे सही राय मिलने लगेगी।
शिपिंग कॉरपोरेशन (एससीआई) ने 26 मई को घोषणा की कि वह 29 मई की बोर्ड मीटिंग में अपनी अधिकृत पूंजी बढ़ाने पर भी विचार करेगी ताकि चुकता पूंजी बढाई जा सके। विनिवेश के लिए इसकी कोई जरूरत नहीं है। तब यह स्पष्टीकरण उसे क्यों देना पड़ गया कि बोनस देने पर विचार नहीं किया जा रहा है। अगर कंपनी की अधिकृत पूंजी बढ़ती है तो बोनस आज या कल आना ही है या फिर नए आवंटन हो सकते हैं जिनसे कंपनी इनकार कर चुकी है। एससीआई की बैलेस शीट के मुताबिक उसके पास 3000 करोड़ रुपए का कैश है। ऐसा संभव नहीं है कि वह इस रकम का फायदा एफपीओ के जरिए नए निवेशकों को दे। वर्तमान परिस्थिति और रुझान को देखें तो एफपीओ में शेयर का इश्यू मूल्य 100 या 110 रुपए रखा जा सकता है, वह भी तब जब बुक वैल्यू ही 152 रुपए है। एससीआई मेरा पसंदीदा स्टॉक बना रहेगा। कंपनी के इनकार के बावजूद शेयर 4 फीसदी बढ़कर बंद हुआ है और उसमें 14 लाख शेयरों का असामान्य कारोबार हुआ है।
हमें उन लोगों का कृतज्ञ होना चाहिए जो हमारी खुशियों का ख्याल रखते हैं। वे तो ऐसे माली हैं जो हमारी आत्मा को फूलों की तरह खिलने में मदद करते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
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