चार साल बाद 2015 में देश में कहीं भी मांगने पर ब्रॉडबैंड सेवाएं मिल जाएंगी। 2017 तक 17.5 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन होंगे और 2020 तक यह संख्या 60 करोड़ तक पहुंच जाएगी। तब इन कनेक्शनों पर डाउनलोड की स्पीड कम से कम 2 एमबीपीएस और मांगने पर 100 एमबीपीएस होगी। ये कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं जिन्हें राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2011 के मसौदे में रखा गया है।
सोमवार को नीति का यह मसौदा जारी करते हुए केन्द्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि अभी हमारे ग्रामीण इलाकों में 35 फीसदी लोगों तक टेलिफोन पहुंचा है। 2017 तक यह टेलिफोन घनत्व 60 फीसदी और 2020 तक 100 फीसदी हो जाएगा। यानी, 9 साल बाद गांवों के हर घर में दो जून की रोटी मिले या न मिले, लेकिन फोन जरूर मिल जाएगा। साल 2014 तक तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ दिया जाएगा और वहां अधिक स्पीड की उच्चस्तरीय ब्रॉडबैंड सेवा मिलने लगेगी। जल्दी ही इंटरनेट कनेक्शन की न्यूनतम स्पीड 256 केबीपीएस से बढ़ाकर 512 केबीपीएस कर दी जाएगी।
सिब्बल ने इस मौके पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक विकास के एक प्रमुख इंजन के रूप में उभरा है और तेजी से बढ़ते ज्ञान आधारित वैश्विक परिदृश्य में भारत को नेतृत्वकारी भूमिका निभानी है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष में स्पेक्ट्रम ब्रिकी की संभावना को एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि 2017 तक 300 मेगाहटर्ज और 2020 तक 200 मेगाहटर्ज अतिरिक्त रेडियो तरंगे उपलब्ध कराई जाएंगी।
सिब्बल ने कहा कि हम स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता और बाजार सम्बद्ध प्रक्रिया के जरिए पारदर्शी तरीके से इसका आवंटन सुनिश्चित करेंगे। उल्लेखनीय है कि मंत्री ने इससे पहले संकेत दिया था कि ब्राडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम का एक स्लॉट इसी वित्त वर्ष में आवंटित किया जा सकता है क्योंकि यह देश भर में उपलब्ध है।
चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की बड़ी चुनौती से जूझ रहे वित्त मंत्रालय ने भी दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर स्पेक्ट्रम नीलामी करने को कहा था ताकि अतिरिक्त राजस्व आ सके। इस साल स्पेक्ट्रम आवंटन की संभावना संबंधी सवाल पर सिब्बल ने कहा कि इस साल तो कठिन लगता है। साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य के लाइसेंसों के साथ स्पेक्ट्रम आवंटन सम्बद्ध नहीं होगा। अब तक, मोबाइल दूरसंचार सेवाओं के सभी लाइसेंसों के साथ ही 4.4 मेगाहटर्ज का स्टार्टअप स्पेक्ट्रम दिया जाता रहा है।
बता दें कि नई दूरसंचार नीति में एक देश, सेवा का प्रावधान है। सारे देश में एक ही मोबाइल नंबर चल सकता है और कहीं भी कोई रोमिंग शुल्क नहीं लगेगा। इसी साल दिसंबर तक दूरसंचार नीति को अंतिम रूप दिया जा सकता है।