स्टॉक एक्सचेंजों को अब अपने यहां सभी लिस्टेड कंपनियों की सालाना रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करानी होगी। और, इसकी शुरुआत बीते वर्ष 2009-10 की सालाना रिपोर्ट से करनी होगी। सेबी ने शुक्रवार, 7 मई को एक सर्कुलर जारी कर स्टॉक एक्सचेंजों के प्रशासन को यह हिदायत दी है। अभी तक कंपनियां लिस्टिंग समझौते के अनुच्छेद 51 के तहत अपनी सालाना रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक डाटा फाइलिंग एंड रिट्रीवल (ईडीआईएफएआर) सिस्टम के जरिए सेबी द्वारा संचालित एक वेबसाइट (http://sebiedifar.nic.in/) पर डालती रही हैं। लेकिन यह वेबसाइट बंद कर दी गई है। इसलिए अब निवेशकों को यह जानकारी उपलब्ध कराने का काम स्टॉक एक्सचेंजों को सौंप दिया गया है। इसके लिए स्टॉक एक्सचेजों को अपने लिस्टिंग समझौते से अनुच्छेद 51 को हटाना पड़ेगा और वे यह काम अनुच्छेद 31 के अंतर्गत करेंगे।
बता दें कि ईडीआईएफएआर एक ऑटोमेटेड सिस्टम था जिसके जरिए कंपनियों की तमाम संवेदनशील जानकारियां सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई जाती रही हैं। बाद में सालाना रिपोर्ट जैसी इन जानकारियों को लिस्टेड कंपनियां भौतिक रूप में स्टॉक एक्सचेंजों को दे देती थीं। लेकिन निवेशकों के बीच पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अब इन्हें स्टॉक एक्सचेंजों की वेबसाइट पर ही डालने का फैसला लिया गया है। इससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से ज्यादा परेशानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को होगी क्योंकि जहां एनएसई में कुल लिस्टेड कंपनियों की संख्या 1359 है, वहीं बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की संख्या 4977 है।
सेबी ने अपने सकुर्लर में कहा है कि स्टॉक एक्सचेंजों को फौरन इस मामले में इंतजाम करने होंगे। अभी तक लिस्टेड कंपनियां अपने तिमाही व सालाना नतीजों के अलावा शेयरधारिता की जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को देती रही हैं और एक्सचेंज इन्हें वेबसाइट पर डालते रहे हैं। लेकिन सालाना रिपोर्ट की फाइल अपने-आप में काफी बडी होगी। इसलिए स्टॉक एक्सचेंजों को अपने सर्वर पर अतिरिक्त जगह हासिल करनी पड़ेगी। ब्रोकर फर्म एसएमसी ग्लोबल के इक्विटी प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला का कहना है कि यह सेबी द्वारा सही दिशा में उठाया गया सही कदम है। सालाना रिपोर्ट से निवेशकों को जानकारी पर आधारित फैसले लेने में सहूलियत हो जाएगी।