जादू की छड़ी मेरे नहीं, तेरे भी पास

हम अक्सर प्रचलित मान्यताओं और प्रचार के शिकार हो जाते हैं। सच है कि जनधन का हर लुटेरा गलत है, चाहे वो राजनीतिक हो या चोर-डकैत। इस लूटे गए धन पर वह टैक्स देगा तो फंस जाएगा। ऐसी काली कमाई से निकला काला धन गलत है। लेकिन मान लीजिए कि हम फालतू झंझट से बचने से लिए अपनी मेहनत की कमाई पर टैक्स नहीं देते तो वह काला धन कैसे हो गया? कोई इलाका सरकार से बगावत करते हुए टैक्स देना बंद कर दे तो क्या उसे काले धन का स्वर्ग कहा जाएगा?

हाल ही में ऐसे ही शख्स से मिलना हुआ जो सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक घनघोर मेहनत करता है। दुनिया की जटिलतम चीजों की गुत्थी खोलकर लोगों को बता देता है। बड़ी शिद्दत से पढ़ाता है। लेकिन फीस कड़क नोटों में लेता है, चेक से नहीं। क्या वो काला धन बना रहा है? मान लीजिए कि मैं एक सचेत राजनीतिक व्यक्ति हूं। अपना धंधा करता हूं। मुझे लगता है कि यह सरकार अपनी नहीं, चोरों की है। उसे एक धेला भी टैक्स देना मुझे पाप लगता है। तब क्या मैं भी मायावती, मुलायम, रॉबर्ट बढ़ेरा या विजय माल्या की तरह काला धन रखने का दोषी हो गया?

विज्ञापन भी बमबारी करके एक सोच हम पर थोप देते हैं। धीरे-धीरे हम वही सोचने लगते हैं जो हमसे सोचवाया जाता है। बाहर की सत्ता, बाहर का विचार हम पर हावी हो जाता है। पूरी ज़िदगी एक तरह के सम्मोहन में गुजर जाती है। यह सरासर गलत है, घातक है। 17वीं-18वीं शताब्दी में यूरोप में डेकार्ट जैसे कई दार्शनिक व वॉल्टेयर जैसे कई लेखक हुए जिन्होंने इंसान को उसके होने का मतलब सिखाया, उसकी स्वतंत्र सत्ता का अहसास कराया। उस काल को पुनरुत्थान का काल कहा जाता है। लेकिन हम तमाम ऐतिहासिक कारणों से अतीत से चिपकते चले गए और अपने को विश्व-गुरु कहते-कहते पुनरुत्थानवादी बन गए। कबीर जैसे संत कहते रहे कि बाहर कुछ नहीं, सब अंदर है। कस्तूरी कुंडली बसे। लेकिन 21वीं सदी में हम कस्तूरी को बाहर खोज रहे हैं। किसी उद्धारक के इंतज़ार में हैं। नहीं जानते कि बाहर की सत्ता की सोच आरोपित है। उसका इस्तेमाल सदियों से हम आमजनों को चरका पढ़ाने के लिए किया गया है।

मित्रों! शेयर बाज़ार में भी बाहर के गुरुघंटालों के चक्कर में पड़ेंगे तो मारे जाएंगे। ट्रेडिंग तो टेक्नीक है जिसे कोई भी सीख सकता है। फंडामेंटल या टेक्निकल एनालिसिस एक यांत्रिक विद्या है जिसे सीखना मुश्किल नहीं। लेकिन बाज़ार में कमाई के लिए टेक्नीक नहीं, माइंडसेट चाहिए। सोच का तरीका सही हो तो आप कुछ न जानते हुए भी बहुत कुछ कमा लेंगे। सोच का तरीका गलत हो तो आप सब कुछ जानते हुए भी सारा कुछ गंवा देंगे।

अर्थकाम आपको ट्रेडिंग की टिप्स से लेकर लंबे निवेश की सलाह जरूर दे रहा है। लेकिन हमारा मूल मकसद आपके माइंडसेट को बदलना है, सोचने के तरीके को बदलना है। आपके अंदर घुसकर सोचना है। हम बाहर का बनकर नहीं, आप जैसा बनकर आपको सलाह देने की कसरत में लगे हैं। यही अंततः आपके अंदर के तत्व के जागने और आपके कमाने का जरिया बनेगा। वाकई, अर्थकाम को निमित्त मात्र है। आपको आर्थिक व वित्तीय मामलों में शिक्षित व साक्षर बनाने का एक माध्यम। जो भविष्य में आपके दम पर एक विराट संस्थान का रूप ले सकता है।

अब बीते हफ्ते की समीक्षा। कुछ आम रुझान होते हैं जिन्हें मुक्त दिमाग और ज़रा-सा ध्यान देकर पकड़ा जा सकता है। जैसे, सोमवार को हमने चीनी कंपनियों में बिकवाली की बात कही। उसके अगले दो दिनों तक श्री रेणुका शुगर्स से लेकर बलरामपुर चीनी और धामपुर शुगर तक के शेयर धड़ाम-धड़ाम गिरे। आईएनजी वैश्य बैंक के कुछ महीनों में 530 से 450 तक गिरने का आकलन किया तो वो तीन दिन में ही 5.47 फीसदी गिरकर 501 पर आ गया। रैनबैक्सी में पांच दिन में 430 रुपए के लक्ष्य के साथ शॉर्ट सेलिंग की बात कही तो वह तीसरे ही दिन लक्ष्य को भेदता हुआ 425.15 रुपए तक पहुंच गया।

मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र को बताए हर शेयर सही दिशा में चले। हां, लक्ष्य से अभी थोड़ा दूर हैं। कभी-कभी लगता है कि कहीं कोई जादू की छड़ी तो हाथ नहीं लग गई। गुरु को बोला कि कॉलगेट कुछ दिन में 1351 तक जाएगा तो एक दिन में ही यह शुक्रवार को 1358 तक जाने के बाद 1351.20 रुपए पर बंद हुआ। आईडीएफसी को बोला कि गिरेगा तो वह गिर गया। शुक्रवार को कहा कि इनफोसिस में भारी मुनाफीवसूली चल सकती है तो वो 21 फीसदी से ज्यादा गिरावट का शिकार हो गया। इतनी तगड़ी गिरावट का आभास तो बडे-बड़े दिग्गजों को नहीं था। शुक्र को वोल्टास में पांच दिन के भीतर 81 तक पहुंचने का लक्ष्य बताया तो उसी दिन वो 79.20 तक चला गया।

हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि हमेशा अनुमान सही ही निकला हो। जैसे, शुक्रवार को सारे संकेत थे कि बाज़ार बढ़ेगा। लेकिन वो गिर गया। असल में बहुत सारे कारण शेयर बाज़ार की चाल और शेयरों के भाव को प्रभावित करते हैं। सब देखने के बाद भी कुछ नए पहलू हर दिन जुड़ते हैं। इन्हें घटने से पहले कोई नहीं बता सकता कि ऐसा होगा। शेयर बाज़ार इसी अनिश्चितता में कूदने को एडवेंचर है। फिर भी बहुत सारे पहलुओं को गौर से परखा जाए तो आगे की दिशा काफी हद तक साफ हो जाती है।

यह पारखी दृष्टि हम या आप कोई भी हासिल कर सकता है। अगर यह जादू की छड़ी है तो इसे आप भी हासिल कर सकते हैं। बस, इसके लिए व्यापक अध्ययन और गणनाओं के साथ-साथ निरंतर अभ्यास की जरूरत है। माइंटसेट तो बदलना जरूरी है ही। मैं पिछले कई महीनों से इसी तरह के घनघोर अध्ययन व अभ्यास या कह लीजिए कि साधना में लगा हुआ हूं। इसके लिए महंगी-महंगी क्लासेज़ भी की हैं और कर रहा हूं। अब तक जो भी दृष्टि हासिल की है, जब उसी से काफी हद तक सटीक आकलन हो जा रहा है तो बाद की बात तो मैं खुद ही सोचकर रोमांचित हो जाता हूं। आप कह सकते हैं कि जब इतना ही पता है तो खुद ट्रेडिंग करके क्यों नहीं कमा लेते? साफ जवाब है कि मेरे ट्रेडिंग शुरू करते ही मेरी सलाहों में मेरा निजी स्वार्थ घुस सकता है। इसलिए मैं उससे दूर रहना चाहता हूं।

अंत में बस इतना कि यह कॉलम सोमवार 15 अप्रैल तक मुफ्त है। उसके बाद मंगलवार, 16 अप्रैल से यह पेड हो जाएगा। आप में से जिनको भी ट्रेडिंग करनी है, वे इसे सब्सकाइब कर सकते हैं। शुल्क दूसरों की तुलना में जितना कम हो सकता था, उतना ही रखा गया है। लंबे निवेश की सेवा तो साथ में एक तरह से बोनस के रूप में दी जा रही है। जो केवल लंबे निवेश की सलाह चाहते हैं, उनको अलग से यह अंश दिया जा सकता है। अगर आपको लगता है कि हमारी इस सेवा से आपका फायदा हो सकता है तो इसे सब्सक्राइब करें। बाकी बचाएं जरूर और सही जगह पर लगाएं ज़रूर क्योंकि यही तरीका है जिससे आप भविष्य को आज के दम पर मुठ्ठी में बांध सकते हैं। हमारा वादा है कि हम अपनी सेवा को निरंतर बेहतर करते जाएंगे।

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