याद रखें कि आप ट्रेडिंग कर रहे हैं, लम्बे समय का निवेश नहीं। फिर भी उन्हीं कंपनियों में ट्रेड करना चाहिए जो फंडामेंटल स्तर पर मजबूत हों। कभी कमज़ोर कंपनियों के स्टॉक्स में ट्रेड न करें। यकीनन, निवेश के लिए दो-तीन साल या ज्यादा का टाइमफ्रेम लेकर चलना पड़ता है। उठना-गिरना शेयर बाज़ार का स्वभाव है। कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो बीएसई सेंसेक्स साल 2020 के शुरुआती दो-तीन महीनों में ही 41,000 अंक से गिरते-गिरते 30,000 अंक के नीचे चला गया। लेकिन साल का अंत आते-आते 47,000 अंक के पार चला गया। उस दौरान जिसने भी मार्च, अप्रैल, मई या जून तक में स्तरीय स्टॉक्स खरीदे, वे आज भी मौज कर रहे हैं। यह होती है निवेश की समझदारी और सही वक्त पर चोट करने की रणनीति। लेकिन ट्रेडिंग में टाइमफ्रेम छोटा होता है। कुछ दिनों से लेकर एकाध महीने तक का। इसमें शेयरों को मोमेंटम देखकर पकड़ा और छोड़ा जाता है। लेकिन इसमें भी मजबूत कंपनियों के ही स्टॉक्स में ही सबसे कम रिस्क होता है। जैसे, इस वक्त एसबीआई, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज ऑटो, एनटीपीसी, कमिन्स इंडिया, फोर्टिस हेल्थकेयर, टीसीएस, ब्रिटानिया, कॉलगेट व गुजरात गैस जैसे दबे हुए स्टॉक्स निवेश व ट्रेडिंग दोनों के लिए मुफीद हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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