पवार ने दिलाया आईसीसी को 45 करोड़ का तोहफा

कृषि मंत्री शरद पवार ने खेल मंत्री अजय माकन, सूचना प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी व पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा लेकर वित्त मंत्रालय तक के एतराज के बावजूद आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) को भारत में खेले गए सभी विश्व कप मैचों पर टैक्स में छूट दिला दी है। इससे आईसीसी को कम से कम 45 करोड़ रुपए का फायदा होगा। पवार ने गुरुवार को कैबिनेट से यह प्रस्ताव पास करवा लिया। इसमें उनकी पार्टी एनसीपी के सदस्य और भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने भी उनका साथ दिया। बता दें कि पवार खुद इस समय आईसीसी के अध्यक्ष हैं।

गुरुवार को कैबिनेट के फैसले के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान अम्बिका सोनी ने कहा था कि पवार ने इस बैठक में आईसीसी को कर-मुक्ति दिलाने के बारे में कोई राय नहीं रखी थी। हालांकि सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस मसले पर अच्छा-खासा तर्क-वितर्क हुआ था और यह प्रस्ताव खुद पवार की तरफ से पेश किया गया था। खेल मंत्री अजय माकन, पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा और सूचना प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने इसका विरोध किया। इन लोगों ने कहा कि आईसीसी मुफ्त में अरबों कमा रही है और क्रिकेट विश्व कप के मैचों को स्पांसर करनेवाली कंपनियों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में उसे कर-मुक्ति देने का क्या तुक है?

इस पर पवार साहिब के अलावा उनके पठ्ठे प्रफुल्ल पटेल भी गरम हो गए। इनके तेवरों के आगे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को भी नरम पड़ना पड़ा। वित्त मंत्रालय एक दिन पहले तक आईसीसी को यह तोहफा देने के खिलाफ था। मंत्रालय ने आशंका जताई थी कि इसका फायदा आईसीसी मैचों को स्पांपरशिप करनेवाली कंपनियों को मिलेगा। वित्त मंत्रालय ने अपने नोट में कहा था कि आईसीसी को कर-मुक्ति देने के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है। लेकिन बैठक में वित्त मंत्री ने इस पर चुप रहना ही बेहतर समझा।

गौरतलब है कि पूरी दुनिया का जानामाना लोकतांत्रिक नियम है कि जब भी संस्था के किसी फैसले में किसी व्यक्ति का हित जुड़ा होता है तो वह व्यक्ति संबंधित बैठक में हिस्सा नहीं लेता। सरकारों से लेकर नियामक संस्थाओं व कंपनियों तक पर यह बात लागू होती है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल जैसी शीर्ष संस्था तक में यह नियम नहीं लागू किया गया। जिस निकाय को सीधे-सीधे फायदा होना है, उसी का मुखिया कैबिनेट में न केवल प्रस्ताव पेश करवाता है, बल्कि उसे पारित भी करवाता है।

आईसीसी की तरफ से कैबिनेट में कृषि मंत्री शरद पवार पेश प्रस्ताव में बताया गया था कि इस विश्व कप के स्पांसरशिप और प्रसारण व विज्ञापन अधिकारों की बिक्री से उसे कुल 32.8 करोड़ डॉलर की आमदनी होगी। इसमें से 12.7 करोड़ डॉलर के खर्च के बाद उसे 20.1 करोड़ डॉलर (करीब 905 करोड रुपए) का फायदा होगा। इसका करीब 60 फीसदी हिस्सा भारत में हो रहे मैचों से मिलेगा, जो रकम 12.1 करोड़ डॉलर (करीब 545 करोड़ रुपए) बनती है। कैबिनेट की कृपा से अम्बिका सोनी के मुताबिक आईसीसी को इस पर लगभग 45 करोड़ रुपए का टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

सूत्रों के मुताबिक अजय माकन ने आईसीसी के फायदे के 20.1 करोड़ डॉलर के अनुमान पर ही सवाल उठा दिया। उनका कहना था कि जब सेमिफाइनल और फाइनल मैच भारत में हो रहे हैं और पूरे देश का जुनून उमड़ने के बाद जिस तरह एकबारगी विज्ञापन से लेकर अन्य दरें बढ़ गई हैं, उससे ईएसपीएन जैसी स्पांसरिंग कंपनियों भयंकर कमाई करेंगी। माकन का कहना था कि आईसीसी ने किसी मैच विशेष पर नहीं, बल्कि भारत में हुई सारी आय पर टैक्स में छूट मांगी है। लेकिन कुमारी शैलजा और अम्बिका सोनी का साथ मिलने के बावजूद पवार अपनी आईसीसी को फायदा दिलवाने में कामयाब हो गए।

हालांकि कैबिनेट के इस फैसले के बाद राजस्व सचिव सुनील मित्रा से बयान दिलवाया गया कि इसका लाभ आईसीसी व उसकी सहयोगी संस्थाओं (जैसे बीसीसीआई) को ही मिलेगा और ईएसपीएन या स्पासंर कंपनियों को नहीं। ईएसपीएन वगैरह को तो पूरा टैक्स देना ही पड़ेगा। लेकिन सूत्रों के मुताबिक सारी डीलिंग-सेटिंग इस तरह की है कि सभी मिलकर सरकार से मिले तोहफे का मजा लूटेंगे।

इस बीच आईसीसी स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर मुंबई व आपसास के इलाकों में विश्व कप से संबंधित टी-शर्ट व अन्य सामान बेचनेवालों पर छापे डलवा रही है। असल में तमाम स्थानीय कारोबारी विश्व कप के जुनून को भुनाने के लिए भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलियाई, न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीमों की जर्सियां वगैरह बनाकर बेच रहे थे। पुलिस ने गुरुवार को धारावी व दादर में छापे मारकर 1.2 करोड़ रुपए का माल जब्त किया और 23 लोगों को गिरफ्तार किया। आईसीसी का दावा है कि इससे उसे कम से कम 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सवाल उठता है कि जो आईसीसी आम लोगों के जुनून को भुनाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहती है, न ही इसका छोटा-सा टुकड़ा भी किसी को देना चाहती है, उसे सरकार क्यों जनता के हिस्से के 45 करोड़ रुपए का तोहफा दे रही है? पवार के पास तो काफी धन देश के अंदर ही नहीं, बाहर भी पड़ा है। ऐसा हमने नहीं, पुणे के घोड़े – हसन अली ने कहा है।

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