डाउ जोंस 11,300 के ऊपर बढ़कर बंद हुआ। यह ब्रेक-आउट का साफ संकेत है और यह अब 15,000 की तरफ बढ़ेगा। पहला पड़ाव 11,800 का है। यह तेजी अमेरिका में दूसरी क्वांटिटेटिव ईजिंग (क्यूई-2) का असर है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दिए जानेवाले इस प्रोत्साहन की तारीख घोषित हो चुकी है। इसका आकार 3.3 लाख करोड़ डॉलर का हो सकता है। हालांकि अमेरिकी सीनेट ने पहले 60 करोड़ डॉलर की राशि ही पारित की थी। आप इसकी अहमियत जानते हैं। इससे पहले लेहमान ब्रदर्स के संकट के बाद 3 लाख करोड़ डॉलर सिस्टम में डाले गए थे और तब हमने देखा था कि डाउ जोंस कैसे 6500 से बढ़कर 11,300 तक पहुंचा है। यूरोप में आर्थिक हालात वापस पटरी पर आते दीख रहे हैं। अब भारत, यूरोप और अमेरिका तेजी के दौर का आनंद लेंगे। आप इसका आनंद उठा पाते हैं या नहीं, यह एकदम अलग मसला है।
आप इस समय काफी दुविधा में पड़े हुए हैं क्योंकि देश में घोटाले का दौर जारी है। पहले राष्ट्रमंडल खेल, फिर 2जी स्पेक्ट्रम व आदर्श हाउसिंग सोसायटी, मनी मैटर्स की रिश्वतखोरी और अब संजय दांगी का चार कंपनियों में इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला। इन चार कंपनियों के अलावा अन्य 16 फर्मों या लोगों को पूंजी बाजार में घुसने से बैन कर दिया गया है। वैसे, सेबी ने यह कार्रवाई करने में काफी देर लगा दी क्योंकि आकृति को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) सेगमेंट से 2008 के अंत या 2009 की शुरुआत में ही बाहर कर दिया गया था। मुझे पक्की तारीख याद नहीं है, लेकिन हर कोई पक्के तौर पर जानता है कि आकृति के पीछे संजय का ही खेल चल रहा था।
आप इसलिए भी भ्रमित हैं क्योंकि ऐसी-ऐसी अफवाहें चल रही हैं जो स्टॉक्स में आपके भरोसे को डावांडोल किए हुए हैं, भले ही ये स्टॉक्स में ए ग्रुप के हों या बी ग्रुप के। मैंने पढ़ा कि आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो या खुफिया विभाग) केतन पारेख या केपी को ट्रैक कर रहा है। लेकिन आप नहीं जानते कि कौन से स्टॉक्स केपी द्वारा चलाए जा रहे हैं। मीडिया का एक हिस्सा रीयल्टी सेक्टर का नाम ले रहा है लेकिन रीयल्टी स्टॉक्स तो सबसे कम चले हैं, पिटे पड़े हैं। अगर आप मीडिया की इस बात से सहमत हैं तो केपी ने स्टॉक मार्केट में भारी नुकसान उठाया होगा। फिर भावों से जबरन छेड़छाड़ का सवाल ही कहां उठता है? मीडिया का दूसरा हिस्सा कहता है कि केपी के बाजार में सक्रिय होने का कोई सबूत नहीं है। किस पर भरोसा करें?
मेरा जवाब है कि अपने विवेक और कंपनी के मूल्यांकन पर भरोसा करें। एचडीआईएल अपनी बुक वैल्यू से 0.9 गुने भाव पर चल रहा है। इसमें कुछ भी गड़बड़ नहीं हो सकती, चाहे इसमें केपी सक्रिय हो या न हो। अगर कंपनी का मूल्यांकन सही है तो स्टॉक ऊपर जाएगा। एसकेएस माइक्रो फाइनेंस एक और स्टॉक है जिनमें केपी का हाथ होने की बात सुनी गई है। यह किसी भी सूरत में आईपीओ आने से पहले की खरीद का मामला है जहां पर किसी भी तरह की निगरानी या अंकुश नहीं है। हकीकत यह है कि पिछले छह महीनों में आए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अलावा वाकी सभी आईपीओ नुकसान में चल रहे हैं। इसके लिए किसको दोषी ठहराया जाए? हम तो हमेशा से यही सुझाव देते रहे हैं कि शेयर बाजार यानी सेकेंडरी मार्केट से 5 से 15 पी/ई तक के स्टॉक खरीदिए और आईपीओ से नहीं, जिनका इश्यू मूल्य 20 से 30 पी/ई अनुपात पर तय किया जाता है और फिर खेल करके उन्हें 50 के पी/ई तक चढ़ा दिया जाता है।
एक और अफवाह एसएमएस के जरिए फैलाई जा रही है कि वीआर सेबी की निगाहों में चढ़ चुका है। इस सिलसिले में आपको जान लेना चाहिए कि सभी ऑपरेटर हमेशा जांच के घेरे में रहेंगे क्योंकि सेबी के नियम शेयर भावों से छेड़छाड़ या इनसाइडर ट्रेडिंग की इजाजत नहीं देते। अगर सुजाना टावर्स महज एक महीने में 60 रुपए से बढ़कर 240 रुपए पर पहुंच जाता है तो उसे जांच के घेरे में आना ही है। अगर आप ऐसे स्टॉक को इतने ज्यादा बढ़े हुए भावों पर खरीदते हैं तो सारा दोष आपका ही है। आप जिन कंपनियों में निवेश करते हैं, उनको देखिए, न कि उनके पीछे काम कर रहे लोगों को। अगर आप को लखपति या करोड़पति बनने की इतनी जल्दी है तो कोई दूसरा क्या कर सकता है?
बाजार के नियामक की तरफ से और कार्रवाई हो सकती है और जिन्होंने गुनाह किया है, उनको सजा मिलेगी। लेकिन निवेशकों को इसमें डरने की कोई जरूरत नहीं है। हम यहां बाजार का आनंद लेने के लिए आए हैं और मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि आपके आनंद में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
वेलस्पन कॉरपोरेशन का वास्ता संजय दांगी से रहा है और यह 28 फीसदी गिर चुका है। मैं इस भाव पर स्टॉक में अच्छा मूल्य देख रहा हूं। एलआईसी ने इसके एक करोड़ शेयर 260 रुपए के भाव पर खरीदे हैं और इसे बेंचमार्क माना जाना चाहिए। अच्छे और मजबूत निवेशक अभी भी इस कंपनी में है और यह सेक्टर भी अच्छा है। यह स्टॉक पलटकर उठेगा। इस मौके का फायदा उठाइए।
ईमानदारी से सेवा करनेवाले इंसान में भरोसा रखिए। बाकी काम अपने-आप हो जाएगा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)