लंदन मेटल एक्सचेंज का आधा तांबा भंडार रहस्यमय ट्रेडर ने खरीदा

लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) एक ऐसे रहस्यमय ट्रेडर का नाम-पता ढूंढने में लगा हुआ है जिसने उसके गोदामों में जमा कुल 3,55,750 मीट्रिक टन तांबे में से कम से कम 1,77,875 मीट्रिक टन माल खरीद लिया है। यह मात्रा एलएमई के गोदामों में रखे कुल तांबे की 50 फीसदी है। वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मात्रा इससे अधिक भी हो सकती है। इसकी कुल कीमत लगभग 150 करोड़ डॉलर बताई जा रही है।

एलएमई को इस भारी खरीद का पता सबसे पहले करीब दो हफ्ते पहले 23 नवंबर को तब चला जब वहां रोज की इनवेंटरी रिपोर्ट देखी जा रही थी। पूरा एक्सचेंज इस बात से अचंभित है कि कैसे कोई अकेला ट्रेडर इतनी बड़ी पोजिशन खड़ा कर सकता है। लंदन के मेटल ट्रेडिंग हाउस, आरजेएच ट्रेडिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चार्ल्स स्विंडन का कहना है, “यह तांबे का विराट सौदा है। इसे खरीदने के लिए विराट रकम लगाई गई है।” गुमनाम रहस्यमय ट्रेडर ने इस साल पूरी दुनिया में खपनेवाले तांबे का तकरीबन एक फीसदी हिस्सा अपने कब्जे में कर रखा है।

अभी तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि उस ट्रेडर ने कब से अपनी खरीद का सिलसिला शुरू किया है। लेकिन एक्सचेंज के कारोबारियों ने कुछ महीने पहले बाजार में भावों में ऐसी अप्रत्याशित हलचल देखी थी जिसका ताल्लुक इस रहस्यमय ट्रेडर की खरीद से हो सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह ट्रेडर जल्दी ही लांच किए जानेवाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) से जुड़ा हो सकता है। या, यह एक ऐसा ऑप्शंस ट्रेडर हो सकता है जिसे भारी मात्रा में तांबे की डिलीवरी देनी है।

खैर, जो भी हो, इस तरह किसी ट्रेडर का इतनी बड़ी मात्रा में तांबा खरीद लेना दुनिया के कॉमोडिटी बाजारों के लिए एकदम असामान्य बात है। वैसे, दुनिया में तांबे के उत्पादक और ग्राहक ज्यादातर सौदे आपस में ही कर लेते हैं और अंतिम सूरत में ही मेटल एक्सचेंजों के फ्यूचर सौदों का सहारा लेते हैं। दुनिया के सभी कॉमोडिटी एक्सचेंजों के पास अक्टूबर अंत तक 6,20,000 मीट्रिक टन (एक मीट्रिक टन = 10 क्विंटल) तांबा था। एलएमएमई का ज्यादातर तांबा भंडार अमेरिका में है जिसमें से 1,26,950 मीट्रिक टन न्यू ओरलियांस में और 95,825 मीट्रिक टन सेंट लुइस में है।

कमाल की बात यह है कि उस ट्रेडर ने इतनी भारी खरीद तब कर ली है जब एलएमई ने ट्रेडरों को बड़ी पोजिशन बनाने से रोकने के लिए तमाम प्रावधान कर रखे हैं। इनमें ट्रेडरों को बाजार में तांबा उधार देने की बाध्यता भी है। इसके बावजूद वह गुमनाम ट्रेडर अपना खेल कर गया। इधर तांबे के कारोबार में अजीब-सी बात यह भी हुई है कि हाजिर सौदों के भाव फ्यूचर सौदों से ज्यादा हो गए हैं, जबकि अमूमन इसकी उल्टी स्थिति रहती है। इसे बाजार की भाषा में बैकवर्डेशन कहा जाता है। एलएमई में तांबे के दिसंबर फ्यूचर का दाम अभी के हाजिर सौदों से प्रति मीट्रिक टन 89 डॉलर ज्यादा है। ऐसे में विश्लेषकों को अचंभा हो रहा है कि तांबे की इतनी भारी मात्रा रखने का खर्च कोई कैसे उठा रहा है।

वैसे, दुनिया के तांबा बाजार में व्यापारिक घोटालों का होना कोई नई बात नहीं है। 1995 में सुमितोमो कॉरपोरेशन के एक कॉपर ट्रेडर यासुओ हामानाका ने भारी मात्रा में तांबा हथियाने की कोशिश की थी। बाद में सुमितोमो ने बताया कि तांबे के भाव गिरने से उसे 180 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था। 2005 में चीन से स्टेट रिजर्व ब्यूरो के एक ट्रेडर ने भी एलएमई में तांबे के भाव गिरने पर बड़ा दांव लगाया था। लेकिन बाजार के विपरीत दिशा में जाने के चलते उसे 20 करोड़ डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था।

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