क्यों देश छोड़ भाग रहीं हमारी कंपनियां

रिजर्व बैंक का डेटा बताता है कि भारत में आया शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वित्त वर्ष 2024-25 में मात्र 35.3 करोड़ डॉलर रहा है, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1010 करोड़ डॉलर रहा था। साल भर में 96.5% की भारी कमी। देश में शुद्ध एफडीआई चार साल से बराबर घट रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में यह 4400 करोड़ डॉलर, 2021-22 में 3860 करोड़ डॉलर और 2022-23 में 2800 करोड़ डॉलर रह गया। इसकी दो खास वजह हैं। एक, जिन विदेशी कंपनियों ने यहां निवेश किया था, वे अपना धन निकालकर वापस ले जा रही हैं। दूसरी ज्यादा अहम वजह है कि भारतीय कंपनियां विदेश में निवेश बढ़ा रही हैं। ऐसा तब हुआ, जब ढिंढोरा पीटा जा रहा था कि विदेशी कंपनियां अब चीन जैसे देशों से निकलकर भारत में निवेश करेंगी। चिंता की बात यह है कि विदेशी ही नहीं, भारतीय कंपनियां तक देश के बजाय बाहर निवेश कर रही हैं। वित्त मंत्रालय तक ने इस पर अचम्भा जताया है कि जब दुनिया भर में अनिश्चितता छाई है, तब भारत छोड़कर हमारी कंपनियां विदेश क्यों भाग रही हैं! कमाल की बात है कि रिजर्व बैंक विदेशी निवेश के इस तरह आसानी से घुसने व निकलने को बाज़ार की परिपक्वता और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक बता रहा है। क्या यह यूपीए के आखिरी साल 2013-14 जैसी ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ का लक्षण नहीं है? अब बुधवार की बुद्धि…

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