जो हैं बेवफ़ा, उन्हीं से वफ़ा की उम्मीद?

देशी-विदेशी कॉरपोरेट क्षेत्र का एक ही सूत्र और मंत्र है अपना मुनाफा अधिकतम करते जाना। इसी पर उनका समूचा वजूद टिका है। मुनाफा घटता जाए तो वे एक दिन हाथ खड़ाकर दीवालिया हो जाते हैं। फिर भी वित्त मंत्री उन पर कृपा बरसाने से बाज़ नहीं आ रहीं। साथ ही देश को झांसा देती जा रही हैं कि देशी-विदेशी कंपनियों पर जितनी कृपा बरसेगी, वे उतना ही निवेश करेंगी और रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे। लेकिन वे यह बताने की जहमत नहीं उठातीं कि सितंबर 2019 में उन्होंने टैक्स में कटौती से कॉरपोरेट क्षेत्र को 1.45 लाख करोड़ का जो तोहफा दिया था, क्या उससे उसने पूंजी निवेश बढ़ाया? उसके बाद सरकार पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम) में निजी क्षेत्र को जो 1.97 लाख करोड़ रुपए का प्रोत्साहन या सब्सिडी दे रही है, उससे कितना पूंजी निवेश बढ़ा है? सरकार के तमाम दावों व कोशिशों के बावजूद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बीते वित्त वर्ष 2023-24 में पांच सालों के न्यूनतम स्तर पर क्यों आ गया? वित्त मंत्री ने जवाब देने के बजाय बजट में विदेशी कंपनियों पर कॉरपोरेट टैक्स 40% से घटाकर 35% कर दिया। रोज़गार व निेवेश के लिए कंपनियों पर धनवर्षा! समस्या कहीं और, समाधान कहीं और? अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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