शेयर बाज़ार के निवेश और ट्रेडिंग दोनों में रिस्क है। होना यह चाहिए कि इसमें उतरनेवाले हर शख्स को अपनी रिस्क क्षमता का सही आकलन करने के बाद निवेश या ट्रेडिंग का तरीका चुनना चाहिए। लेकिन इसको लेकर नज़रिया भी अलग-अलग है। मसलन, आम धारणा है कि दो-चार साल या ज्यादा समय के लम्बे निवेश में सबसे कम रिस्क है, जबकि इंट्रा-डे ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा। लेकिन इंट्रा-डे ट्रेडर कहते हैं कि वे तो अपना रिस्क उसी के उसी दिन काटकर चैन की नींद सोते हैं, जबकि दीर्घकालिक निवेशक को सालों तक रिस्क ढोना पड़ता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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