सेवाओं के निर्यात पर तो ऐसा माहौल बनाया जाता है कि भारत सचमुच दुनिया का बैक-ऑफिस बन चुका है और वो सेवाओं के निर्यात का पावरहाउस है। लेकिन इसमें भी विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास संगठन (अंकटाड) की रैंकिंग सारा भ्रम तोड़ देती है। प्रति व्यक्ति सेवाओं के निर्यात की रैंकिंग में भारत दुनिया के 114 देशों में 89वें स्थान पर है। वो मलयेशिया, तुर्किए और थाईलैंड से भी नीचे है। कोई कह सकता है कि प्रति व्यक्ति का पैमाना भारत के लिए ठीक नहीं है क्योंकि यहां की आबादी इतनी ज्यादा है कि इस पैमाने पर उसकी रैकिंग खुद-ब-खुद नीचे चली जाएगी। लेकिन चीन की आबादी भी तो ज्यादा है और 35 साल पहले चीन और भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान थी। साल 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 367 डॉलर थी और चीन की प्रति व्यक्ति आय इससे भी कम 317 डॉलर थी। वहीं, आज चीन की प्रति व्यक्ति आय 13,873 डॉलर है, जबकि भारत की 2698 डॉलर है। चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत से लगभग छह गुनी हो चुकी है। फिर भी वो अमीर या विकसित देश नहीं बन पाया है। भारत तो अब भी निम्न मध्यम आय का देश है। निर्यात के बिना भारत कैसे उठ पाएगा ऊपर? अब मंगलवार की दृष्टि…
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