ठीक से भिड़ा नहीं हमारा-आपका टांका

1 Comment

  1. अनिल जी, सादर अभिवादन!
    आपके प्रयास सिर माथे, और सबसे बड़ी बात ये कि हिन्दी जगत आपकी सेवाओं का ऋणि रहेगा। अर्थजगत की गंभीर गुत्थियाँ आपकी कलम की बदौलत बौनी नज़र आती हैं। ज्ञान का जो सागर अर्थकाम के माध्यम से लोगों तक पहुँच रहा है उसका कोई मोल नहीं। सच कहूँ तो आपके दर्शन की इच्छा मन में है, देखूँ कब अवसर मिलता है।

    ब्लागः http://upbhoktaswar.blogspot.com

    -रवि श्रीवास्तव, लखनऊ

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