यह शेखी बघारने का वक्त नहीं है। अगर हमारे नीति-नियामक भारत के विकास-पथ को लेकर संजीदा नहीं हुए तो हमारी सारी विकासगाथा कायदे से टेक-ऑफ करने से पहले ही मिट्टी में मिल सकती है। हमें चौकन्ना हो जाना चाहिए क्योंकि करीब डेढ़ महीने भर पहले ही 16 मई को रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका की संप्रभु रेटिंग एएए के सर्वोच्च स्तर से घटाकर दूसरे पायदान पर एए1 कर दी। चीन की रेटिंग अमेरिका से दो स्तर नीचे ए1 है, जबकि भारत की रेटिंग इस समय चीन से भी पांच स्तर नीचे बीएए3 है। अगर किसी वजह से मूडीज़ ने भारत के रेटिंग एक भी पायदान और नीचे खिसकाकर बीए1 कर दी तो पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की हकीकत से ऊपर उठकर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का सारा सब्ज़बाग हवा में बिखर जाएगा। भारत की रेटिंग घटने की आशंका इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इधर विदेशी निवेश पर चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। रिजर्व बैंक का डेटा दिखाता है कि देश में आ रहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बराबर घट रहा है, जबकि बाहर जा रहा एफडीआई बढ़ता जा रहा है। यह निवेशकों के घटते भरोसे को दिखाता है। अब सोमवार का व्योम…
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