भारत व चीनी कारों की राह अमेरिका में मुश्किल

अगले कुछ महीनों में कई भारतीय और चीनी कारें अमेरिकी बाजार में पेश की जाने वाली हैं। लेकिन एक नई रिपोर्ट में पाया गया कि ज्यादातर अमेरिकी टाटा, महिंद्रा और बीवाईडी जैसी कंपनियों की कारें नहीं खरीदना चाहते।

बाजार अनुसंधान कंपनी जीएफके ऑटोमोटिव की एक रिपोर्ट में पाया गया कि चीन और भारत के वाहन निर्माताओं को वही दिन देखने पड़ेंगे जो कोरियाई वाहनों को अमेरिका में लांच किए जाने के बाद देखना पड़े थे। उपभोक्ताओं को कोरियाई वाहनों की ओर आ‍कर्षित करने में करीब 15 साल लग गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर अमेरिकी उपभोक्ता चीन या भारत की कंपनियों से कार खरीदने के पक्ष में नहीं है। ये कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपने ब्रांड के प्रति जागरूकता पैदा करने और इन्हें स्वीकार्य बनाने की चुनौतियों का मुकाबला करने के उपायों पर विचार कर रही हैं।

इस रिपोर्ट में पाया गया कि सिर्फ 38 फीसदी लोग चीन में बने वाहनों और 30 फीसदी लोग भारतीय कारें खरीदना चाहेंगे। इसके उलट अमेरिकी कंपनियों की कारें खरीदने में 95 फीसदी लोगों ने रुचि दिखाई है, जबकि 76 फीसदी लोग जर्मन, 75 फीसदी लोग जापानी और 49 फीसदी लोगों की कोरियाई मॉडल खरीदने में रुचि है।

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