प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में बड़े गर्व के साथ कहा है कि ‘विकास और विरासत को साथ लेकर भारत ने बीते एक दशक में बुनियादी ढांचों या इंफ्रास्ट्रक्चर का अभूतपूर्व निर्माण’ देखा है। किसी भी विकासशील में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण एक सतत प्रक्रिया है। यह सिलसिला आज़ादी के बाद के सात दशकों से लगातार चल ही रहा है। लेकिन बीते एक दशक में इस दिशा में जो ‘अभतूपूर्व’ काम हुआ है, वो चुनावी बांडों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बेपरदा हो गया है। इससे पता चला है कि खनन, टेलिकॉम, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में सरकारी मंज़ूरी और ठेके देने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों से वसूली की गई है। हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग 11 अप्रैल 2023 को ₹140 करोड़ के चुनावी बांड खरीदकर चंदा देती है और महीने भर बाद महाराष्ट्र की शिंदे सरकार उसे ठाणे-बोरिवली टनेल बनाने का ₹14,400 करोड़ का ठेका दे देती है। यह वही मेघा इंजीनियरिंग है जिसकी हमारे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भरी संसद में भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। किसी साल ₹10 लाख करोड़ तो किसी साल ₹11 लाख करोड़ के सरकारी पूंजीगत व्यय का 10% भी सत्ताधारी दल को इधर-उधर से मिला होगा तो सालाना रिश्वत या कमीशन की यह रकम एक लाख करोड़ तक पहुंच जाती है। यह भारत के आर्थिक विकास के इतिहास में वाकई एकदम अभूतपूर्व है। अब बुधवार की बुद्धि…
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