एक तरफ ‘मोदी-अडाणी एक हैं’ के नारे का जवाब भाजपा ‘राहुल-सोरोस एक हैं’ से दे रही है। दूसरी तरफ भारत की विकासगाथा की कलई उतरती जा रही है। सितंबर महीना बीतने के बाद 9 अक्टूबर को पेश मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही या सितंबर तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7%, तीसरी तिमाही में 7.4%, चौथी तिमाही में 7.4% और पूरे वित्त वर्ष में 7.2% का अनुमान उछाला था। लेकिन 29 नवंबर को राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने आंकड़े जारी किए गए तो दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 5.4% ही निकली। सात तिमाहियों की सबसे कम विकास दर और रिजर्व बैंक के अनुमान से पूरी 1.6% नीचे। क्या रिजर्व बैंक को एक महीने 20 दिन पहले भी अहसास नहीं था कि हमारी विकास दर घटने जा रही है? उसे तो एक्जिट पोल जैसी कयासबाज़ी नहीं करनी होती क्योंकि उसके पास वास्तविक स्थिति बयां करनेवाले डेटा का भंडार होता है। फिर भी उसने हवा-हवाई अनुमान आखिर क्यों और किसको खुश करने के लिए पेश किए? उसने अब तीसरी तिमाही के विकास का अनुमान घटाकर 6.6%, चौथी तिमाही का 7.2% और पूरे साल का 6.6% कर दिया है। लेकिन उस पर विश्वास करना बड़ा रिस्की हो गया है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...