ट्रम्प ने कर दी भारत की मिट्टी पलीद

भारत का मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र नहीं बढ़ेगा तो यहां के उद्योग-धंधे कैसे बढ़ेगे? उद्योग-धंधे नहीं बढ़ेंगे तो कॉरपोरेट क्षेत्र कैसे बढ़ेगा? कॉरपोरेट क्षेत्र नहीं बढ़ेगा तो शेयर बाज़ार कैसे बढ़ सकता है? भारत की विकासगाथा की इस ज़मीनी हकीकत ने विदेशी निवेशकों को हताश कर दिया है। केवल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ही नहीं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करनेवाले भी अब भारत से बिदक कर भागने लगे हैं। उन्हें यकीन है कि जो सरकार भ्रष्टाचार के ज़रिए विश्व बैंक के ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ तक के डेटा में रैंक बढ़वाने का खेल कर सकती है, वो भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है। विदेशी निवेशक रोज-ब-रोज़ के काम में सरकारी तंत्र में छाए भ्रष्टाचार से रू-ब-रू होते हैं। इसी बीच ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ का आइडिया जोर पकड़ता गया। साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने ही भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सारी शेखी निकाल ली है। भारतीय साजो-सामान पर ज्यादा आयात शुल्क और अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहनों व मोटरसाइकल से लेकर बोरबॉन ह्विस्की तक पर कस्टम ड्यूटी में भारी कटौती। इससे विदेशी निवेशकों में भारत की साख खाक हो गई। अब बुधवार की बुद्धि…

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