अपने यहां मार्च 2020 में कोरोना के क्रैश के बाद शेयर बाज़ार में तेज़ी का जो दौर शुरू हुआ, उसमें रिटेल निवेशक झूमकर बाज़ार में आए। उन्हें गहरा यकीन था कि बाज़ार को बढ़ना ही बढ़ना है। इस दौरान जब भी बाज़ार गिरा, उन्होंने खरीद बढ़ा दी। उनकी यह पहल मुख्य रूप से म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों के ज़रिए हुई। इसमें इतना दम था कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली को वह पचाती गई। अब भी बाज़ार गिरते-गिरते रह-रहकर बढ़ जाता है। लेकिन पहले जैसी तेज़ी की धारा सूखने लगी है। प्रोफेशनल से लेकर एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) व रिटेल ट्रेडर तक बहुत सावधान हो गए हैं। जिन्हें अच्छे स्टॉक्स की पहचान व समझ है, वे हर गिरावट पर निवेश बढ़ा देते हैं। लेकिन अधिकांश ट्रेडरों ने हाथ बांध लिए हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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