कहते कुछ और, करते कुछ और हैं!

खराब आर्थिक आंकड़ों के चलते अमेरिकी बाजार कल गिर गया और ग्रीस को डाउनग्रेड कर दिया गया। इन दोनों ही घटनाओं का दुनिया के बाजारों पर पड़ा तो भारतीय बाजार भी आज सुबह गिरकर खुले। दिन भर ऊंच-नीच का क्रम चला और आखिकार सेंसेक्स 114.63 अंकों की गिरावट के साथ 18,494.18 और निफ्टी 41.65 अंकों की गिरावट के साथ 5550.35 पर बंद हुआ। लेकिन अगर दुनिया के बाजार न भी गिरे होते तो भारतीय बाजार गिर सकता था। उठना-गिरना तो बस दिखाने को है। असली खेल कुछ और है। अन्यथा, जीडीपी की निराशाजनक तस्वीर के बावजूद मंगलवार को सेंसेक्स 250 अंक क्यों उछल जाता!

भारतीय शेयर बाजार की खासियत यह है कि इसकी बागडोर ऐसे लोगों के हाथ में जो वैश्विक बाजार के उठने पर भी इसे गिरा सकते हैं और चाहें तो वैश्विक बाजार के गिरने की सूरत में भी इसे उठा सकते हैं। इस सारे खेल के पीछे सीधा-सीधा वलण या सेटलमेंट का हिसाब-किताब चलता है। पिछले सेटलमेंट में मंदड़ियों का जोर था तो उनके हित में था कि कैश के अंतर को संभालने के लिए कम भाव छापे जाएं। इस सेटलमेंट में उल्टी स्थिति है क्योंकि पूरा भरोसा न होने के कारण ट्रेडर हर बढ़त पर शॉर्ट सौदे कर रहे हैं और एफआईआई मोलतोल के चक्कर में हर दिन खरीद रहे हैं।

इस समय मैं एफआईआई के बर्ताव को बेहद कम समझ पा रहा हूं। अगरे आपके पास इसका कोई जबाव हो तो मुझे भी बताएं ताकि मैं खुद को अपग्रेड कर सकूं। वे कहते रहते हैं कि बाजार नीचे जाएगा, नीचे जाएगा और खुद खरीदना शुरू कर देते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वे खुद अपने बर्ताव से साबित कर रहे हैं कि वे जैसा कहते हैं, वैसा करते नहीं। और, ऐसा इसलिए कि उन्हें ऐसा करने की छूट मिली हुई है क्योंकि उन पर कोई आचार संहिता नहीं लगाई गई है।

जैसा कि मै आपको बता चुका हूं और अब भी मानता हूं कि बाजार अगर खुदा-न-खास्ता गिरता भी है तो उससे पहले यह 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को चूमने की कोशिश करेगा। निफ्टी में 7000 और 8000 का निर्णायक रुझान तभी स्पष्ट होगा जब यह पहले 200 डीएमए और फिर 6000 के स्तर को पार कर जाएगा। यह एक मनोवैज्ञानिक बाधा है। लेकिन इसका टूटना तय है। आईटीसी, इंडियन होटल्स और डिवीज लैब जैसे स्टॉक्स में भारी खरीद हो रही है जो स्पष्ट तौर पर स्थापित करता है कि हमारा चुनाव सही चल रहा है और इससे समझदार ट्रेडर अच्छा फायदा कमा रहे हैं।

अगले तीन महीनों में काफी सारे विलय व अधिग्रहण होने हैं। इससे भारतीय पूंजी बाजार में नया सिलसिला बन रहा है। मेरे एक दोस्त ने सबेरो आर्गेनिक्स को 60 रुपए पर बेच दिया और अब रो रहा है। इसलिए गांठ बांधे लें कि अगर सभी निवेशक अपने स्टॉक्स को होल्ड करके रखें तो उनका मूल्यांकन फौरन सुधर जाएगा। अगले दो महीनों में जो लोग अपने शेयर बेच देंगे, वे आनेवाले दिनों में अपनी किस्मत को कोसेंगे क्योंकि बाजार एकदम नई रेंज में जाने को तैयार बैठा है।

फिर भी, आपको अपनी किस्मत का फैसला खुद करना है। मेरा मानना है कि एफआईआई निवेश या विदेशी पूंजी प्रवाह केवल 500 करोड़ डॉलर भी रहा तो भारतीय शेयर बाजार (सेंसेक्स) को 25,000 पर ले जा सकता है। इससे हमें एफआईआई को लेकर बहुत चिंतित रहने की जरूरत नहीं है। हमें उनकी नहीं, बल्कि उन्हें हमारी दरकार है।

हम सपनों की अनुभूति को साकार करते हैं। उन्हें संगीत की स्वर-लहरियों में उतार देते हैं। हम संगीत सुनते भर नहीं, उसे रचते भी हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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