ट्रेड फॉर ट्रेड में फंसी शेयरों की जान

शुक्रवार को पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से कहा कि वे कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद 12 कंपनियों को ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट (टीएफटीएस) से निकालकर सामान्य रोलिंग सेटलमेंट में ला सकते हैं। ये कंपनियां हैं – ओसवाल ओवरसीज, यूनिटेक इंटरनेशनल, वीएसएफ प्रोजेक्ट्स, विकल्प सिक्यूरिटीज, न्यू मार्केट्स एडवाइजरी, ग्लोबल सिक्यूरिटीज, रणविजय ट्रेडिंग कंपनी, केएमसी स्पेशियलिटी, उपासना फाइनेंस, लालफुल इनवेस्टमेंट्स, डीएसजे स्टॉक एंड शेयर्स और तिरुपति लिंक्स। असल में टीएफटी सेटलमेंट बहुत सारे शेयरों के लिए दम घोटने का फंदा बना हुआ है।

ऐसी सारी कंपनियां बीएसई के टी ग्रुप में डाल दी जाती है। इसमें शामिल किसी कंपनी के शेयरों में तरलता लगभग न के बराबर हो जाती है। मान लीजिए किसी निवेशक ने ऐसी किसी कंपनी के 100 शेयर सुबह खरीदे और उसी दिन वह उन्हें बेचकर निकल जाना चाहता है तो दोनों सौदे आपस में नहीं कट सकते। पहले खरीदने के लिए उसे भुगतान करना पड़ेगा। फिर बेचने के लिए उसे अलग से शेयरों की डिलीवरी देनी होगी। इस मुश्किल के चलते कम से कम ट्रेडर इन शेयरों को हाथ नहीं लगाते।

यह समस्या कितनी विकराल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीएसई के टी ग्रुप में शेयरों की संख्या इस समय 1025 है, जबकि वहां कुल लिस्टेड कंपनियों की संख्या 4977 है। 28 मई को बीएसई में कुल 2969 शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें से टी ग्रुप के शेयरों की संख्या 578 थी। मतलब साफ है कि बीएसई की कुल लिस्टेड कंपनियों में 20.6 फीसदी ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट में पड़ी हुई हैं और इनमें से 44 फीसदी में कोई ट्रेडिंग नहीं होती।

साफ सी स्थिति है कि जैसे ही कोई शेयर टीएफटी सेटलमेंट में डाल दिया जाता है, उसमें ट्रेडिंग लगभग ठप पड़ जाती है क्योंकि किसी भी सौदे के पहले पूरा भुगतान करना होता है। इसलिए ब्रोकर इन शेयरों से पल्ला झाड़ लेते हैं। नतीजतन आम निवेशकों के पैसे इनमें फंसकर रह जाते हैं। अब जबकि ये शेयर टीएफटी से बाहर निकलने जा रहे हैं, आम निवेशकों को फौरन इन्हें बेचकर निकल जाना चाहिए।

सेबी ने शुक्रवार को 12 कंपनियों को टीएफटी से निकालने की सलाह देते हुए कहा है कि इन कंपनियों ने दोनों डिपॉजिटरी संस्थाओं एनएसडीएल और सीडीएसएल से फरवरी व मार्च 2010 में कनेक्टिविटी बना चुकी हैं। स्टॉक एक्सचेंज इन्हें टीएफटी से सामान्य रोलिंग सेटलमेंट में ले जाने पर विचार कर सकते हैं बशर्ते प्रवर्तकों के हिस्से से बाकी बची इक्विटी का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा डीमैट किया जा चुका हो और टीएफटी में रखने की कोई अन्य वजह न हो।

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